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अमेरिका को ले डूबेंगे ट्रंप,इकोनॉमी को लगा झटका

अमेरिका को ले डूबेंगे ट्रंप,इकोनॉमी को लगा झटका
  • PublishedAugust 3, 2025

अमेरिका में जब से डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में राष्ट्रपति बने हैं. तभी से उनके तेवर हाई हैं. बयानों में अलग ही गुरूर और ढिठाई दिख रही है. चुनाव के दौरान साथ देने वाले दोस्त एलन मस्क से रिश्ता लंबा न चला. मस्क अलग हुए फिर राष्ट्रपति ट्रंप ने दुनिया पर टैरिफ का बम फोड़ दिया, जो कुछ देशों में लागू हो गया और कुछ में लागू होना बाकी है. लेकिन चुनावी प्रचारों में मेक अमेरिका ग्रेट अगेन का नारा देने वाले डोनाल्ड ट्रंप के फैसले उनके लिए ही घातक साबित हो सकते हैं. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि आंकड़े बता रहे हैं. इकोनॉमी का ग्लोडेन ऐज लाने वाले ट्रंप अमेरिका के लिए खलनायक बन रहे हैं! यह संस्कृत का वाक्य अद्वैत वेदांत में इस्तेमाल होता है. जिसका सीधा सा मतलब यह है कि मैं ही हूं, दूसरा कोई नहीं है. न पास्ट में न फ्यूचर में. इसका मायने वेदांत के लिहाज से अलग हैं. मगर इस पैमाने पर अभी राष्ट्रपति ट्रंप खूब जच रहे हैं. सारी दुनिया को अपनी धौंस दिखाकर अपनी शर्तों पर डील करानी हो या फिर व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति को बुलाकर धमकाना हो.वह खुद को ही शक्तिशाली दिखाने के चक्कर में लगे हुए हैं. दुनिया उनकी शर्तों पर चले इसके लिए मनमाने ढंग से टैरिफ लागू कर दी है. लेकिन, उनके टैरिफ के फैसले ने न केवल दुनिया की इकोनॉमी के चिंता में डाला है. बल्कि अमेरिका के फाइनेंशियल बिगड़ते दिखाई दे रहे हैं, जिसके रुझान आना शुरू हो गए हैं.डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का असर अब अमेरिका की इकोनॉमी पर भी दिखाई देने लगा है. पिछले एक हफ्ते में सामने आई रिपोर्ट पर ही नजर डालें तो यूएस की अभी की स्थिति का ठीक-ठाक अंदाजा लगाया जा सकता है. रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं. मुद्रास्फीति बढ़ रही है. पिछले साल की तुलना में विकास दर भी धीमी हुई है।हाल की आईं आर्थिक खबरें बता रही हैं कि आने वाला समय अमेरिका के लिए और मुश्किल हो सकता है. पिछले हफ्ते के आंकड़ों से पता चलता है कि अगर हालात ऐसे ही रहे, तो ट्रंप को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

शुक्रवार को आई जॉब्स रिपोर्ट में दिखा कि ट्रंप के टैरिफ लागू करने के बाद से अप्रैल से अब तक अमेरिकी कंपनियों ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 37,000 नौकरियां खत्म कर दीं. पिछले तीन महीनों में नई भर्तियां बहुत कम हुई हैं. जुलाई में सिर्फ 73,000, जून में 14,000 और मई में 19,000 नौकरियां बढ़ीं. यानी पहले के अनुमान से 258,000 कम नौकरियां. पिछले साल औसतन हर महीने 168,000 नौकरियां बढ़ रही थीं.गुरुवार को आई महंगाई की रिपोर्ट में पता चला कि जून तक के एक साल में कीमतें 2.6% बढ़ीं, जो अप्रैल के 2.2% से ज्यादा है. आयात की चीजों जैसे उपकरण, फर्नीचर, खिलौने और स्पोर्ट्स के सामान की कीमतें मई से जून तक तेजी से बढ़ीं. बुधवार को जीडीपी की रिपोर्ट आई, जिसमें दिखा कि इस साल की पहली छमाही में जीडीपी की ग्रोथ रेट 1.3% से भी कम रही, जो पिछले साल की 2.8% से काफी कम है।

Written By
Aagaaz Express

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