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इस दिन मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी,जान लीजिए क्या है पूजा विधि और शुभ मुहूर्त?

इस दिन मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी,जान लीजिए क्या है पूजा विधि और शुभ मुहूर्त?
  • PublishedAugust 24, 2025

भगवान गणेश, जिन्हें बुद्धि, समृद्धि और विघ्नहर्ता (बाधाओं को दूर करने वाले) के रूप में जाना जाता है, का पूजन गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी पर किया जाता है। यह हिंदुओं का एक प्रमुख और श्रद्धा से मनाया जाने वाला पर्व है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को यह उत्सव मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान गणेश का जन्म सोमवार को दोपहर के समय, सिंह लग्न और स्वाति नक्षत्र में हुआ था।किसी भी पूजा या शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, ताकि जीवन में समृद्धि, सफलता और मंगल की प्राप्ति हो। विनायक चतुर्थी के नाम से प्रसिद्ध यह पर्व नए आरंभ, आध्यात्मिक प्रगति और जीवन की कठिनाइयों को दूर करने का प्रतीक है।पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी 2025 की तिथि 27 अगस्त 2025 है।

चतुर्थी तिथि 26 अगस्त 2025 को दोपहर 01:54 बजे से शुरू होगी और 27 अगस्त 2025 को 03:44 बजे समाप्त होगी।गणेश चतुर्थी 2025 पर पूजन का शुभ मुहूर्त 27 अगस्त को सुबह 11:05 बजे से दोपहर 01:40 बजे तक है। यही मध्याह्न गणेश पूजन मुहूर्त माना गया है। भक्त इन शुभ समय में गणपति स्थापना और पूजन कर सकते हैं।गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें बुद्धि और धन का देवता तथा विघ्नहर्ता माना जाता है। यह उत्सव भाद्रपद मास में दस दिनों तक चलता है और भगवान गणेश के जन्म का उत्सव माना जाता है। यह पर्व नए आरंभ, मानसिक स्पष्टता और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक है।इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। स्वतंत्रता संग्राम के समय, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में इस त्योहार को सार्वजनिक रूप से मनाने की परंपरा शुरू की। इसका उद्देश्य लोगों में एकता और राष्ट्रीय भावना जगाना था। आज भी गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक बन चुकी है।गणेश चतुर्थी के अवसर पर घरों और सार्वजनिक पंडालों में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की जाती है। उन्हें फूलों, रोशनी और सजावट से अलंकृत किया जाता है। प्रतिदिन पूजा, आरती, भजन और मंत्रोच्चार किए जाते हैं।भगवान गणेश को मोदक, लड्डू और फल अर्पित किए जाते हैं। परिवार और समाज में गणेश जी की कहानियां सुनाई जाती हैं और भजन-कीर्तन गाए जाते हैं। ये परंपराएं लोगों को भक्ति और आध्यात्मिकता से जोड़ती हैं, साथ ही समाज में भाईचारा और एकता की भावना को भी मजबूत करती हैं।

Written By
Aagaaz Express

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