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गणेश चतुर्थी पर आज बन रहा है नवपंचम राजयोग,जानिए शुभ मुहूर्त

गणेश चतुर्थी पर आज बन रहा है नवपंचम राजयोग,जानिए शुभ मुहूर्त
  • PublishedAugust 27, 2025

शास्त्रों में गणेश चतुर्थी का विशिष्ट महत्व है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। इस साल भाद्र मास की सिद्धि विनायक चतुर्थी 27 अगस्त को है। आपको बता दें गणेश चतुर्थी से 11 दिनों तक गणेश उत्सव मनाया जाता है। और गणेश चतुर्थी पर गणपति का आगमन किया जाता है और गणेश प्रतिमा की स्थापना करके उनका पूजा विधि विधान सहित किया जाता है। इस बार गणेश चतुर्थी पर प्रीति, सर्वार्थ सिद्धि, रवि के साथ इंद्र-ब्रह्म योग का संयोग बन रहा है। जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। वहीं नवपंचम और शोभन राजयोग भी बन रहा है। आइए जानते हैं तिथि, शुभ मुहूर्त, मंत्र और आरती…वैदिक पंचांग अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 53 मिनट पर होगी। इसका समापन 27 अगस्त की दोपहर 3 बजकर 43 मिनट पर हो रहा है। उदया तिथि के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त को मनाया जाएगा।ज्योतिषियों के मुताबिक गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना के लिए 27 अगस्त को सुबह 11 बजकर 04 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 41 मिनट तक का शुभ मुहूर्त रहेगा। आप इस अवधि में गणपति जी की मूर्ति की स्थापना कर सकते हैं।

गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा और स्थापना के लिए मध्याह्न मुहूर्त का समय शुभ माना जाता है। इस दिन सबसे पहले पूजा स्थल को साफ कर लें। उसके बाद एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। अब उस पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा पर अक्षत (चावल), हल्दी, कुमकुम और सुपारी अर्पित करें। गणपति जी के दाहिनी ओर तांबे या पीतल के कलश में शुद्ध जल भरकर रखें। स्थापना के समय ‘अस्य प्राण प्रतिष्ठां तु, अस्य प्राणा: क्षरंतु च। श्री गणपते त्वं सुप्रतिष्ठ वरदे भवेताम॥’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद भगवान को गंगाजल से स्नान कराएं, उन्हें दूर्वा, पुष्प, माला, मोदक और भोग अर्पित करें। अंत में उनकी आरती करें और गणेश चतुर्थी की कथा का पाठ करें।गणेश भजन-जय गणेश गणराज विद्या दे जय गणेश गणराज, विद्या दे।हे विधिहीन हमको, विधि दे॥तेरे चरणों का मैं ध्यान धरूँ।तेरा ही स्मरण मैं सदा करूँ॥जय गणेश गणराज, विद्या दे।हे विधिहीन हमको, विधि दे॥घर में पधारो गजाननजी,मेरे घर में पधारोरिद्धि सिद्धि लेके आओ गणराजा,मेरे घर में पधारो ॥॥ घर में पधारो गजाननजी ॥राम जी आना, लक्ष्मण जी आनासंग में लाना सीता मैया,मेरे घर में पधारो ॥॥ घर में पधारो गजाननजी ॥ब्रम्हा जी आना, विष्णु जी आनाभोले शशंकर जी को ले आना,मेरे घर में पधारो ॥॥ घर में पधारो गजाननजी ॥लक्ष्मी जी आना,गौरी जी आनासरस्वती मैया को ले आना,मेरे घर में पधारो ॥॥ घर में पधारो गजाननजी ॥विघन को हारना,मंगल करना,कारज शुभ कर जाना,मेरे घर में पधारो ॥॥ घर में पधारो गजाननजी ॥सुखकर्ता दुखहर्ता-सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नांची।नुरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची॥सर्वांगी सुंदर उटी शेंदूराची।कंठी झलके माळ मुक्ताफळांची॥जय देव जय देव, जय मंगलमूर्ति।दर्शनमात्रे मनकामना पूर्ती॥रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा।चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा॥हिरे जडित मुकुट शोभतो बरा।रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया॥जय देव जय देव, जय मंगलमूर्ति।दर्शनमात्रे मनकामना पूर्ती॥गणेश भजन-गणपति बप्पा मोरयागणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया।गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया॥विघ्न विनाशक मंगल करण,सिद्धि विनायक मंगल करण।।दुख हरन सुख करण,भव भव भय हरन॥गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया॥

Written By
Aagaaz Express

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