लालू के चाल से चित हुआ NDA,MY समीकरण रचने जा रहा है इतिहास
राष्ट्रीय जनता दल ने पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले टिकट वितरण में इस बार यादव बिरादरी का प्रतिनिधित्व घटाया है, मगर फिर भी पार्टी का सारा दारोमदार अपने पुराने मुस्लिम-यादव (माई) समीकरण पर ही है। पार्टी ने अपने आधे टिकट इन्हीं दो समुदायों पर कुर्बान किए हैं। इतना ही नहीं विपक्षी महागठबंधन में भी करीब 38 फीसदी टिकट इन्हीं दो बिरादरियों के नाम किए हैं। राजद की रणनीति में एक बदलाव यह दिखा है कि पार्टी ने अपने 36 विधायकों का टिकट काट दिया है और टिकट वितरण में महिलाओं को वरीयता देने के साथ ही कुशवाहा बिरादरी पर प्यार लुटा कर जदयू के महिला वोट बैंक और ताकतवर लवकुश समीकरण में सेंध लगाने की कोशिश की है।वर्ष 2020 के चुनाव में राजद ने 144 सीटों में से यादव समुदाय (14 फीसदी) को 58 और मुस्लिम समुदाय (17.7 फीसदी) को 17 टिकट दिए थे। इस बार यह संख्या क्रमश: 51 और 19 है, जो उसकी कुल टिकटों का करीब 49 फीसदी है। राजद से इतर विपक्षी महागठबंधन में शामिल अन्य दलों ने भी माई समीकरण को महत्व दिया है। महागठबंधन ने 243 सीटों पर कुल 252 उम्मीदवार उतारे हैं।

इनमें मुस्लिम और यादव उम्मीदवारों की संख्या 95 है। खास बात है कि इनमें सीपीआई माले के 20 और सीपीआई के 9 उम्मीदवारों में आठ यादव और दो मुसलमान हैं।राजद के 77 विधायकों में इस बार 36 विधायक टिकट पाने में नाकाम रहे हैं। इनमें पार्टी के खिलाफ बगावत करने वाले 7 और एआईएमआईएम से पाला बदल कर राजद में शामिल होने वाले 4 में से 3 विधायक और पार्टी से निष्कासित तेजप्रताप यादव भी शामिल हैं। बड़ी संख्या में टिकट काट कर पार्टी ने इसके जरिए विधायकों के खिलाफ स्थानीय स्तर पर नाराजगी को खत्म करने की रणनीति अपनाई है।वाम मोर्चे में शामिल तीन दलों में महज एक महिला को मौका मिला है। 20 सीटों पर चुनाव लड़ रहे भाकपा माले ने दीघा से दिव्या गौतम को उम्मीदवार बनाया है। सीपीआई (9 सीट) और माकपा (13 सीट) ने एक भी महिला को मौका नहीं दिया है। हालांकि वाम मोर्चा ने अगड़ा वर्ग के तीन और यादव बिरादरी से 8 को मौका दिया है।वर्तमान चुनाव में राजग में शामिल चार दलों से अगड़ा वर्ग के 85 उम्मीदवार हैं, जबकि इसके मुकाबले विपक्षी महागठबंधन के माई समीकरण से जुड़े 95 उम्मीदवार हैं। विपक्षी महागठबंधन ने अगड़ा वर्ग से 40 उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि राजग की ओर से माई समीकरण से जुड़े महज 21 उम्मीदवार हैं।उम्मीदवार चयन में इस बार राजद की नीतीश के महिला वोट बैंक में सेंध लगाने व लव-कुश (कुर्मी व कुशवाहा के नाम से पहचानी जाने वाली प्रमुख ओबीसी जातियां हैं) समीकरण को तोड़ने की रणनीति साफ नजर आती है। पार्टी ने नीतीश के 13 के मुकाबले 24 महिला उम्मीदवार उतारे हैं। इसके अलावा पहली बार 11 कुशवाहा प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं जो जदयू से महज दो कम हैं। हालांकि राजग की 35 महिला उम्मीदवारों के बदले महागठबंधन ने 33 उम्मीदवार उतारे हैं।