Blog

पीएम मोदी ने विपक्षी नेताओं से किया आग्रह,पराजय की बौखलाहट से निकलकर सार्थक चर्चा करे विपक्ष

पीएम मोदी ने विपक्षी नेताओं से किया आग्रह,पराजय की बौखलाहट से निकलकर सार्थक चर्चा करे विपक्ष
  • PublishedDecember 1, 2025

संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत में मीडिया से बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘साथियों शीतकालीन सत्र सिर्फ एक एक प्रथा नहीं हैं, ये राष्ट्र को प्रगति की ओर तेज गति से ले जाने के जो प्रयास चल रहे हैं, उसमें ऊर्जा भरने का काम ये शीतकालीन सत्र करेगा, ये मेरा विश्वास है। भारत में लोकतंत्र को जिया है, लोकतंत्र के उमंग और उत्साह को समय समय पर ऐसे प्रकट किया है कि लोकतंत्र के प्रति विश्वास और मजबूत होता रहता है। बीते दिनों बिहार चुनाव में भी मतदान में जो तेजी आई है, वो लोकतंत्र की ताकत है। माता-बहनों की भागीदारी बढ़ना एक नई आशा और विश्वास पैदा कर रहा है। लोकतंत्र की मजबूती और इसके भीतर अर्थतंत्र की मजबूती को दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है। भारत ने सिद्ध कर दिया है डेमोक्रेसी कैन डिलीवर।’ ‘जिस गति से आज भारत की आर्थिक स्थिति नई ऊंचाईंयों को प्राप्त कर रही है।

विकसित भारत की ओर जाने की दिशा में ये नया विश्वास जगाती है। साथियों ये सत्र संसद देश के लिए क्या सोचती है, क्या करना चाहती है और क्या कर रही है, ये दिखाती है। विपक्ष भी पराजय की निराशा से बाहर निकलकर सार्थक चर्चा करे। दुर्भाग्य से कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो पराजय भी नहीं पचा पाते। लेकिन मेरा सभी दलों से आग्रह है कि शीतकालीन सत्र में पराजय की बौखलाहट को मैदान नहीं बनना चाहिए और ये विजय के अहंकार में भी परिवर्तित नहीं होना चाहिए। बहुत ही जिम्मेदारी के साथ देश की जनता की जो हमसे अपेक्षा है, उसे संभालते हुए आगे के बारे में सोचें। जो है उसे कैसे अच्छा कैसे करें और जो बुरा है, उसके बारे में सटीक टिप्पणी कैसे करें, ये मेहनत का काम है, लेकिन देश के लिए करना चाहिए।’मेरी एक चिंता रही है लंबे समय से सदन में जो पहली बार चुनकर आए हैं, या जो युवा हैं, वैसे सभी दलों के सभी सांसद बहुत परेशान हैं, उन्हें अपने सामर्थ्य का परिचय कराने का अवसर नहीं मिल रहा है और न ही अपने क्षेत्र की समस्याओं के बारे में बताने का मौका नहीं मिल रहा है। कोई भी दल हो हमें किसी को भी हमारी नई पीढ़ी के नौजवान सांसदों को, उन्हें अवसर देना चाहिए। इसलिए मेरा आग्रह रहेगा कि हम इन चीजों को गंभीरता से लें, ड्रामा करने के लिए बहुत जगह होती है, जिसे करना है करता रहे, यहां ड्रामा नहीं डिलीवरी होनी चाहिए। नारे के लिए पूरा देश पड़ा है, जहां हारे वहां बोल चुके और जहां हारने जा रहे हैं, वहां भी बोल लेना। यहां नारे नहीं नीति पर बात होनी चाहिए। हो सकता है कि राजनीति में नकारात्मकता कुछ काम आती होगी लेकिन राष्ट्र निर्माण की सोच भी होनी चाहिए। नकारात्मकता को मर्यादा में रखकर राष्ट्र निर्माण पर ध्यान दें।’

Written By
Aagaaz Express

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *