मुजफ्फरपुर दलित बच्ची के मामले में सरकार ने लिया बड़ा एक्शन,दो अधिकारियों पर हुई कारवाई

26 मई की शाम, मुजफ्फरपुर के कुढ़नी प्रखंड में 9 वर्षीय दलित बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया. आरोपी ने उसका गला रेता फिर चाकू से पेट पर कई वार करके लहूलुहान छोड़ दिया. बेहोश बच्ची को परिवार वालों ने खोजकर मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज (एसकेएमसीएच) में भर्ती कराया, जहां वह पांच दिनों तक जूझती रही. इसके बाद यहां से पीएमसीएच रेफर किया गया, जहां इलाज में लापरवाही सामने आई और बच्ची की मौत हो गई. इस मामले में सरकार ने एक्शन लिया है और दो अधिकारियों को बर्खास्त किया है।इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ने एसकेएमसीएच की अधीक्षक डॉ. विभा कुमारी को रेफरल प्रक्रिया की अनदेखी के आरोप में निलंबित किया है, जबकि पीएमसीएच के उपाधीक्षक डॉ. अभिजीत सिंह को पदमुक्त कर दिया है. सरकार की ओर से पीड़ित परिवार को ₹4 लाख का तत्काल मुआवजा और ₹7,750 मासिक पेंशन देने की बात कही गई है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की है, जो दोनों अस्पतालों की लापरवाही की जांच करेगी।

पीड़ित परिवार ने एसकेएमसीच पर उपेक्षा का आरोप लगाया है. परिवार के अनुसार, बच्ची की हालत में सुधार हो रहा था, लेकिन डॉक्टरों ने उसे बिना स्थिर किए 31 मई को पटना के पीएमसीएच रेफर कर दिया. इसके बाद पीएमसीएच में बच्ची का समय पर इलाज नहीं हुआ और यहां घोर लापरवाही देखने को मिली. पीएमसीएच में बच्ची को 4-5 घंटे तक एंबुलेंस में रखा गया. अस्पताल प्रशासन ने ‘बेड उपलब्ध नहीं’ का बहाना बनाया. परिजनों का कहना है कि पैसा रहता तो बच्ची को बेड मिल जाता. मीडिया में हंगामा की खबर सामने आने के बाद पीएमसीएच ने एडमिट किया, लेकिन अगले सुबह 1 जून को बच्ची की मौत हो गई।पीएमसीएच प्रशासन ने दावा किया कि ईएनटी आईसीयू की कमी के कारण उसे गाइनोकोलॉजी वार्ड में रखा गया, लेकिन राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने इसे “सिस्टम की व्यवस्थित विफलता” करार दिया है और राज्य सरकार को फटकार लगाई है. वहीं पुलिस ने मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और 15 दिनों में चार्जशीट दाखिल करने का वादा किया है. आरोपी की आपराधिक पृष्ठभूमि सामने आई है. उसपर पहले भी परिवार की एक लड़की के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लग चुका था।