महाकुंभ में श्रद्धालुओं का महासैलाब उमड़ रहा है. अब तक 16 दिनों में करीब 15 करोड़ लोग गंगा में डुबकी लगा चुके हैं. सबकी नजर अब आज की मौनी अमावस्या वाले स्नान पर है जिसे लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह भी बहुत ज्यादा है. सरकार और प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती ये है कि श्रद्धालुओं की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है. आज मौनी अमावस्या है. 144 वर्ष में एक बार पड़ने वाले महाकुंभ पर इस दिन संगम स्नान को बहुत शुभ माना जाता है.ऐसे में देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज आ रहे हैं।प्रयागराज में आप जहां तक नजर दौड़ाएंगे, आपको सिर्फ भीड़ दिखेगी. देश के अलग अलग हिस्सों से प्रयागराज आ रहे लोगों की संख्या भी कम नहीं है. ट्रेन में जगह नहीं है. प्रयागराज के लिए टिकट फुल है. स्टेशन पर यात्रियों की संख्या अचानक बढ़ चुकी है।सरकार के दावे के अनुसार आज मौनी अमावस्या के मौके पर 10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है. एक दावा ये भी है कि मंगलवार को करीब 4 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई. दावा ये भी है कि महाकुंभ में अब तक करीब 15 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं. दावा ये भी है कि औसतन 1 करोड़ लोग रोज महाकुंभ में डुबकी लगाने जा रहे हैं.

सरकार का ये भी दावा है कि महाकुंभ में कुल 45 करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने का अनुमान है।सरकार का दावा है कि प्रयागराज में श्रद्धालुओं की संख्या इतनी विशाल है, जितनी कई देशों की आबादी भी नहीं है. सरकारी दावे के अनुसार, 15 करोड़ से अधिक लोग महाकुंभ में अब तक आस्था की डुबकी लगा चुके हैं, हिसाब लगाएं तो ये संख्या रूस की कुल आबादी 14 करोड़ 48 लाख से अधिक है. जापान की आबादी 12 करोड़ से अधिक है. जर्मनी की जनसंख्या 8 करोड़ से अधिक है. इटली की आबादी 6 करोड़ से अधिक, स्पेन की आबादी 4 करोड़ से अधिक, ऑस्ट्रेलिया की आबादी ढाई करोड़ से अधिक और दक्षिण अफ्रीका की आबादी 6 करोड़ से अधिक है।यानी, सच पूछिए तो महाकुंभ में आस्था के इस सैलाब को नियंत्रित कर पाना, महाकुंभ का सफल आयोजन करा पाना किसी महान चुनौती से कम नहीं है. यह बताने के पीछे हमारा मकसद आपको डराना बिल्कुल नहीं है. श्रद्धालुओं के लिए मौनी अमावस्या पर पुण्य कमाने का ये मौका बार-बार नहीं आता।