महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी को पढ़ाने को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना-यूबीटी और राज ठाकरे की मनसे इस मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार पर हमलावर हैं। एनसीपी-एससीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि भाषा शिक्षा एक ऐसा मुद्दा है जिसे बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए। हमें विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में आगे बढ़ना चाहिए। कोई अन्य राज्य इस तरह से काम नहीं कर रहा है। मुझे समझ में नहीं आता कि महाराष्ट्र सरकार इतना अड़ियल रुख क्यों अपना रहा है। सुप्रिया सुले ने कहा कि हम किसी को खुश करने के लिए बच्चों का भविष्य खराब नहीं कर सकते। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) पूरी ताकत से विरोध उद्धव और राज ठाकरे के मार्च में हिस्सा लेगी।

शिक्षा हमारे लिए एक गंभीर मुद्दा है। बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने अभी हाल में एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि स्कूलों में कक्षा एक से पांचवीं तक के छात्रों को मराठी और अंग्रेजी के बाद तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाई जाएगी। हालांकि विवाद होने के बाद सरकार ने संशोधित आदेश जारी कर कहा कि हिंदी वैकल्पिक भाषा होगी। अगर कोई छात्र तीसरी भाषा के तौर पर देश में बोली जाने वाली कोई अन्य भाषा पढ़ना चाहता है तो वह पढ़ सकता है। उसके लिए हिंदी अनिर्वाय नहीं होगी। हालांकि इसके लिए क्लास में कम से कम 20 छात्रों का रहना जरुरी है। अगर क्लास में 20 छात्र नहीं होते हैं तो हिंदी तीसरी भाषा के तौर पर पढ़ाई जाएगी। सरकार के इसी आदेश पर विवाद हो रहा है।