चिराग पासवान ने बढ़ाई नीतीश की चिंता,पुराने फॉर्म में अब वापस लौटने लगे चिराग

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए और इंडिया ब्लॉक के बीच मुकाबला माना जा रहा है. एनडीए खेमे की अगुवाई वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर रहे हैं और औपचारिक और अनौपचारिक रूप से वह एनडीए के सीएम पद का चेहरा हैं. एनडीए के अन्य घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी राज्य में सभी 293 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं. साथ ही एनडीए की जीत का भी दावा कर रहे हैं, लेकिन वह बिहार में क्राइम के बढ़ते दर पर चिंता जताने से नहीं चूक रहे हैं.बिहार में कानून व्यवस्था की चिंता और जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर की प्रशंसा से सियासी सवाल खड़ा हो रहा है और इससे यह सवाल उठ रहे हैं कि पिछले चुनाव की तरह कहीं चिराग पासवान नीतीश कुमार का खेल तो नहीं बिगाड़ रहे हैं?बिहार में लगातार हत्या की घटनाओ को लेकर विपक्ष नीतीश सरकार पर लगातार हमला बोल रहा है.

राष्ट्रीय जनता दल के नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बिहार में हत्या की घटनाओं को लेकर सवाल उठा रहे हैं और तालिबान से इसकी तुलना कर रहे हैं. चूंकि तेजस्वी यादव विपक्ष के नेता हैं, इसलिए उनका नीतीश कुमार के शासन और कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाना लाजिमी है, लेकिन चिराग पासवान एडीए के घटक दल हैं और केंद्रीय मंभी भी हैं, वो कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठा रहे हैं और बिहार को लहूलुहान बताने से नहीं चूक रहे हैं.चिराग पासवान ने मुजफ्फरपुर बलात्कार-हत्याकांड मामले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर राज्य की कानून-व्यवस्था और सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे पर गंभीर सवाल उठाए हैं.चिराग पासवान ने मुजफ्फरपुर में नौ साल की दलित बच्ची के साथ हुए जघन्य बलात्कार-हत्याकांड का जिक्र किया है और कहा है कि यह हृदयविदारक घटना बिहार की कानून-व्यवस्था, सामाजिक जागरूकता और जन स्वास्थ्य की विफलता को उजागर करती है. उन्होंने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा कि यह घटना केवल एक मौत का नहीं है. यह हमारी सामाजिक व्यवस्था की विफलता और हमारी संवैधानिक जिम्मेदारी की विफलता का प्रतीक है।ऐसा नहीं है कि चिराग पासवान केवल राज्य में कानून-व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं. उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने का भी ऐलान कर दिया है और उन्होंने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लडे़गी. इसके साथ ही वह कहते हैं कि बिहार उन्हें बुला रहा है. ऐसे में उनके बयानों से लगातार सियासी कयास लग रहे हैं.चिराग पासवान केवल क्राइम के बढ़ते ग्राफ को लेकर निशाना नहीं साध रहे हैं, बल्कि हाल में चिराग पासवान जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह बिहार की भलाई के लिए ईमानदार कोशिश कर रहे हैं. पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम नीतीश कुमार और आरजेडी प्रमुख लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी पर हमला करने के लिए जाने जाने वाले प्रशांत किशोर ने भी चिराग पासवान की प्रशंसा की थी और उन्हें “एक नया लड़का बताया था जो जाति के बारे में बात नहीं करता.” चिराग ने कहा कि वह किसी का भी स्वागत करते हैं जो धर्म, जाति और पंथ से ऊपर उठकर बिहार और उसके लोगों के लिए काम करना चाहता है.चिराग पासवान केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हैं, वो लोजपा (रामविलास) का नेतृत्व करते हैं और पिछले साल लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी द्वारा लड़ी गई सभी पांच सीटों पर जीत हासिल करके सुर्खियों में आए थे. हाल ही में उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की, जिससे बिहार के राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई.एनडीए की सहयोगी लोजपा (रामविलास) जो पिछले लोकसभा चुनाव में 100 प्रतिशत जीत का दावा कर रही है. ऐसा लगता है कि उसने राज्य चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे पर बातचीत के दौरान भाजपा पर दबाव बनाने के लिए एक सोची-समझी चाल चली है. चिराग पासवान के ये बयान उनकी राजनीति का हिस्सा माना जा रहा है।पिछले विधासनभा चुनाव 2020 में चिराग ने ऐसे ही तेवर दिखाए थे और नीतीश कुमार की पार्टी को बड़ा झटका दिया था. चिराग पासवान इशारों-इशारों में यह बात करते रहे हैं कि उन्हें कमजोर करने के लिए उनकी पार्टी को विभाजन करवाया गया है.नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड को जब पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में केवल 43 सीटों से संतोष करना पड़ा था. आरोप यह लगा था कि चिराग पासवान की वजह से ही जदयू को 32 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था. उसके बाद ही चिराग पासवान की एनडीए से छुट्टी हुई थी, बाद में चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस ने बगावत की और पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और चिराग की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का उदय हुआ।चूंकि पशुपति पारस के साथ 4 सांसद थे. उन्हें मोदी कैबिनेट में जगह मिल गई और एक मात्र सांसद चिराग पासवान का रामविलास पासवान के नाम आवंटित सरकारी बंगला भी छिन गया. कहा जाता है कि इसके पीछे भाजपा पर नीतीश कुमार का दवाब था.लेकिन इसका बदला चिराग ने 2020 के विधानसभा चुनाव में लिया. चिराग उस प्रसंग को नहीं भूल सके थे. चिराग पासवान 2019 को लोकसभा चुनाव एनडीए के साथ लड़ा था, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में मन मुताबिक सीटें नहीं मिलने पर उन्होंने अकेले लड़ने का फैसला किया. उन्होंनेे 134 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और नीतीश पर जमकर निशाना, लेकिन खुद को पीएम नरेंद्र मोदी को हनुमान बताया.उन्होंने जदयू के उम्मीदवार के खिलाफ चुन-चुनकर उम्मीदवार उतारे, जिन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दिया था. उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया और इसका नीतीश को काफी नुकसान उठाना पड़ा. ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश ने 2022 में एनडीए का साथ छोड़ा था तो इसके पीछे की एक वजह चिराग पासवान भी थे. अब चिराग पासवान फिर से विधानसभा चुनाव 2025 से पहले 2020 विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चलते दिख रहे हैं।