बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। इसे लेकर जदयू से लेकर राजद और भाजपा से लेकर कांग्रेस तक ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। बिहार की इस सियासत में गठबंधन की राजनीति की बड़ी भूमिका रही है। यहां राष्ट्रीय के साथ क्षेत्रीय दलों की पैठ लंबे समय से है। आलम यह है कि बिहार में आखिरी बार किसी दल की अकेले दम पर सत्ता 1985 के चुनाव में आई थी। इसके बाद से हुए अगले आठ चुनावों में गठबंधन की ही सरकार बनी है। गठबंधन के इस दौर में क्षेत्रीय दलों का रसूख भी लगातार बढ़ा है। 1988 में कई दलों के विलय से जनता दल बना। 1990 के चुनाव में जनता दल 122 सीटें जीतकर सबसे बड़ा दल बना। भाजपा के समर्थन से सत्ता में आया और लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बने। पहली बार किसी गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा किया। 1990 का चुनाव इस लिहाज से भी अहम रहा कि इनके बाद राज्य में एक कार्यकाल में कई मुख्यमंत्रियों का दौर खत्म हो गया। लालू 1995 तक बेरोकटोक सरकार चलाने में भी सफल रहे। बिहार में साल 2000 का चुनाव मार्च में हुआ था। गौर करने वाली बात यह है कि तब तक बिहार से झारखंड अलग नहीं हुआ था। इस चुनाव में भी राजद मजबूती से उभरी। उसने 324 में से 293 सीटों पर चुनाव लड़ा और 124 सीटें जीतीं। पार्टी बहुमत से दूर रह गई। दूसरी तरफ भाजपा को इस चुनाव में बढ़त मिली और उसे 168 में से 67 सीटें मिलीं। नीतीश कुमार की समता पार्टी 34 सीट और कांग्रेस 23 सीटें जीतने में सफल रही। 2000 में खंडित जनादेश के चलते सरकार बनाने की जंग छिड़ गई। नीतीश कुमार ने अपनी समता पार्टी के लिए भाजपा और अन्य दलों के गठबंधन के जरिए पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि, उनके पास कुल-मिलाकर भी महज 151 विधायकों का ही समर्थन था, जो कि बहुमत के आंकड़े 163 से कम ही था। इसके चलते नीतीश को 7 दिन में ही अपना पद छोड़ना पड़ा।

बिहार की कमान एक बार फिर राजद के हाथों में आ गई और लालू के जोड़-तोड़ की बदौलत राबड़ी देवी फिर मुख्यमंत्री बनीं। 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश और लालू दशकों बाद साथ आए। जदयू-राजद-कांग्रेस ने मिलकर महागठबंधन बनाया। इस गठबंधन ने 243 में से 178 सीटें हासिल कीं। राजद-जदयू ने बराबर 101-101 सीटें बांटीं, वहीं कांग्रेस को 41 सीटें मिलीं। जहां राजद 80 सीट जीतकर सबसे बड़ा दल बना। जदयू को 71 सीटें मिलीं। राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस 27 सीट जीतने में सफल रही। नीतीश फिर से मुख्यमंत्री बने। वहीं, लालू यादव के दोनों बेटे उनकी कैबिनेट का हिस्सा बने। लालू के छोटे बेटे तेजस्वी को डिप्टी सीएम बनाया गया।