चुनाव से पहले कांग्रेस दिखाने लगी अपनी ताकत,दलित प्रदेश अध्यक्ष के जरिए बिहार फतह करेंगे राहुल गांधी

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने नया प्रदेश अध्यक्ष बनाकर यह संदेश देने का प्रयास किया है कि पार्टी अब अपनी खोई हुई जमीन को वापस लेगी. यही कारण है कि अखिलेश सिंह को हटाकर दलित चेहरे राजेश कुमार को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. हालांकि इसके पीछे की इनसाइड स्टोरी भी दिलचस्प है और आफ्टर इफेक्ट भी दिलचस्प होगा।चलिए सबसे पहले आपको इसकी इनसाइड स्टोरी बताते हैं. वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी बताते हैं कि बिहार में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए अखिलेश प्रसाद सिंह को भेजा गया. हालांकि अखिलेश प्रसाद सिंह ने संगठन की मजबूती के लिए कई प्रयास किया लेकिन वह इसमें कामयाब नहीं हो सके. अखिलेश सिंह कांग्रेस पार्टी के अंदर गुटबाजी को खत्म नहीं कर पाए. यही कारण रहा की 2 वर्षों के कार्यकाल में अखिलेश सिंह संगठन को वह धार नहीं दे पाए जितनी अपेक्षा उनसे थी।अब हम आपको बताते हैं कि आगे क्या होने वाला है. मतलब आफ्टर इफेक्ट क्या होगा. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम ना बताने के आग्रह पर बताया कि राजेश कुमार को भले ही बिहार प्रदेश का कमान दिया गया है. लेकिन बिहार में पार्टी की बड़ी भूमिका में प्रभारी कृष्णा अल्लावारु और कन्हैया कुमार की होने वाली है।

चुंकी एक दिन पहले ही नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति हुई है. 10 से 15 दिनों के अंदर पार्टी का रूख क्या होगा यह दिखने लगेगा. उन्होंने बताया कि युवाओं को साथ लाने के लिए आगामी इसी सप्ताह कोई बड़ा कार्यक्रम कर सकती है. एक से दो दिनों के अंदर इसकी घोषणा हो जाएगी. पार्टी आला कमान की तरफ से कार्यक्रम को लेकर हरी झंडी भी मिल गई है।कांग्रेस अब बिहार में अपने दम पर मजबूत होने की तैयारी कर चुकी है. यही कारण है कि बिहार कांग्रेस में युवाओं को महत्वपूर्ण पदों पर भेजा जा रहा है. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए जिस तरीके से राजद कांग्रेस पर दबाव बनाई हुई थी, अखिलेश सिंह की विदाई के साथ तय हो गया कि अब कांग्रेस दबाव की राजनीति में नहीं आने वाली है. अब कांग्रेस बड़े भाई की भूमिका में आने की तैयारी कर रही है. यही कारण है कि लालू प्रसाद यादव के भरोसेमंद रहे डॉक्टर अखिलेश प्रसाद सिंह को पद से हटाया गया है।

Exit mobile version