कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है. देश के पहले उप-प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के मौके पर उन्हें याद करते हुए खरगे ने कहा कि सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था. खरगे से पहले समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी कहा था कि आज भी किसी सरदार की जरूरत है जो फिर से उस विचारधारा पर प्रतिबंध लगाए जिससे बीजेपी का जन्म हुआ. अखिलेश यादव के बयान को लेकर पूछे जाने पर खरगे ने कहा कि मेरी निजी राय है कि आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्यूंकि देश में ज्यादातर कानून व्यवस्था की समस्याएं बीजेपी–आरएसएस की वजह से पैदा हो रही हैं. आरएसएस प्रमुख गोलवलकर को लिखे सरदार पटेल के पत्र का हवाला देते हुए खरगे ने कहा कि अपने पत्र में सरदार पटेल ने जिक्र किया कि गांधी जी की हत्या के बाद आरएसएस कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया और मिठाई बांटी. आरएसएस और हिंदू महासभा की गतिविधियों के कारण देश में बने माहौल के परिणामस्वरूप गांधी जी की हत्या हुई.

इन वजहों से आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा. खरगे ने कहा कि 1964 में बनी नियमावली के तहत सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस और जमात ए इस्लामी जैसे संगठनों की गतिविधियों में शामिल होने पर भी पाबंदी लगाई थी. जिसे संशोधित कर जुलाई 2024 में मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में सक्रिय होने की अनुमति दे दी. खरगे ने इस संशोधन को वापस लेने और फिर से आरएसएस से जुड़ी पाबंदी लगाए जाने की माँग की. कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा कि नेहरू और पटेल एक दूसरे का बेहद सम्मान करते थे लेकिन बीजेपी इन दोनों के बीच फूट डालने की कोशिश करती है. आरएसएस पर प्रतिबंध की मांग से जुड़े खरगे के बयान को आपत्तिजनक बताते हुए बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि उन्हें संघ के इतिहास के बारे में जानना चाहिए. गांधी जी की हत्या के बाद कपूर कमीशन ने आरएसएस को क्लीन चिट दी. खरगे की भाषा मुस्लिम लीग, पीएफआई , जमीयत उलेमा ए हिंद जैसे कट्टरपंथी संगठनों जैसी है.