फिलीपींस और मलेशिया जैसे देश चीन को देने लगे जवाब,क्या औकात हो गई अब कम?

दक्षिण चीन सागर में चीन अपनी आक्रामक हरकतों और धमकियों से पड़ोसी देशों को डराने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसकी ये तिकड़मबाजी पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। अमेरिकी प्रशांत बेड़े के कमांडर एडमिरल स्टीफन कोलर ने साफ कहा कि चीन की धौंस और दबाव की रणनीति के बावजूद कोई भी पड़ोसी देश अपने हक और हितों को छोड़ने को तैयार नहीं है। इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम और फिलीपींस जैसे देशों ने न सिर्फ डटकर मुकाबला किया है, बल्कि अपनी ताकत और एकजुटता से चीन को करारा जवाब भी दिया है।चीन लंबे समय से दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा जताता रहा है और इस इलाके में अपने पड़ोसियों को डराने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रहा है। वह अपनी नौसेना और कोस्ट गार्ड के जरिए पानी की बौछारें, लेजर किरणों का इस्तेमाल और यह तक कि जहाजों को टक्कर मारने जैसे खतरनाक तरीके अपना रहा है। उसका मकसद है कि पड़ोसी देश डरकर अपने समुद्री इलाकों में तेल और गैस की खोजबीन बंद कर दें। लेकिन चीन की ये सारी कोशिशें धरी की धरी रह गईं।

इंडोनेशिया, मलेशिया और वियतनाम ने अपने विशेष आर्थिक क्षेत्रों (EEZ) में तेल और गैस के काम को न सिर्फ जारी रखा, बल्कि उसका विस्तार भी किया।चीन का अपने सभी पड़ोसियों से कुछ न कुछ विवाद चल रहा है।फिलीपींस ने चीन को किया बेइज्जत।फिलीपींस ने तो चीन की हरकतों को दुनिया के सामने लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उसने चीनी सेना के खतरनाक युद्धाभ्यास, जैसे पानी की जोरदार बौछार और लेजर का इस्तेमाल, को सार्वजनिक करके बीजिंग की साजिशों को बेनकाब किया। 2013 में फिलीपींस ने दक्षिण चीन सागर के विवाद को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में ले जाकर चीन को चुनौती दी। हालांकि, चीन ने इस मध्यस्थता में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया और इसका उल्लंघन करता रहा, लेकिन फिलीपींस ने हार नहीं मानी। अमेरिकी राजदूत मैरीके कार्लसन ने कहा कि यह मध्यस्थता फिलीपींस की जीत थी और यह दुनिया को दिखाता है कि कोई भी ताकतवर देश छोटे देशों के हक को नहीं कुचल सकता।चीन की धमकियों के बावजूद दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों ने हिम्मत नहीं हारी। वियतनाम और मलेशिया ने अपने समुद्री इलाकों में तेल और गैस की खोज को तेज किया। इंडोनेशिया ने भी अपनी नौसेना की ताकत बढ़ाकर चीन को साफ संदेश दिया कि वह पीछे नहीं हटेगा। फिलीपींस ने तो खुलकर चीन की हरकतों का विरोध किया और अमेरिका जैसे सहयोगियों के साथ मिलकर अपनी स्थिति को और मजबूत किया। अमेरिकी कमांडर कोलर ने कहा कि उनकी प्रशांत बेड़ा सहयोगी देशों के साथ मिलकर काम करने को तैयार है ताकि चीन की आक्रामकता को रोका जाए और समुद्री व्यापार के रास्ते सुरक्षित रहें।वहीं, भारत की बात करें तो हाल के सालों में उसके हाथों चीन को कई बार मुंह की खानी पड़ी है। भारत ने न सिर्फ अपनी सीमाओं पर, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी चीन को करारा जवाब दिया है। 2020 के गलवान घाटी संघर्ष में भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को ऐसा सबक सिखाया कि चीन चुप्पी ही साध गया। लद्दाख में LAC पर भारत ने अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाया और हर बार चीन की घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम किया। भारत ने न सिर्फ अपनी सेना को मजबूत किया, बल्कि क्वाड जैसे गठजोड़ के जरिए चीन को कूटनीतिक रूप से भी घेरा है। हिंद महासागर में इंडियन नेवी का वर्चस्व देखकर चीन की नींद उड़ी हुई है, और ये सब देखते हुए ड्रैगन शांत बैठ गया है।दक्षिण चीन सागर दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री रास्तों में से एक है, जहां से हर साल अरबों डॉलर का व्यापार होता है। चीन इस पूरे इलाके पर अपना दावा करता है, जबकि वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान जैसे देश भी इस पर अपने-अपने हक जताते हैं। चीन ने इस इलाके में कृत्रिम द्वीप बनाए और सैन्य ठिकाने स्थापित किए, जिससे तनाव बढ़ा। लेकिन पड़ोसी देशों ने अमेरिका और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर चीन के इस दबदबे को चुनौती दी है। इस तरह देखा जाए तो चीन की धमकियां और आक्रामकता दक्षिण चीन सागर में बेअसर ही साबित हुई हैं।