बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी विवादों में हैं. प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी खासतौर से सम्राट पर हमलावर है. वो उनसे इस्तीफे की मांग कर रही है. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मांग की जा रही है कि वह सम्राट चौधरी के खिलाफ कार्रवाई करें.पार्टी के कुछ नेता राज भवन भी पहुंचे, जहां उन्होंने डिप्टी सीएम के खिलाफ एक्शन की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा.ज्ञापन के अनुसार सम्राट चौधरी अपने चुनावी दस्तावेजों में अलग-अलग उम्र बताते रहे हैं. 2010 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी उम्र 28 साल लिखी थी, जबकि 2020 के विधान परिषद चुनाव में उन्होंने अपनी उम्र 51 साल बताई. जन सुराज के नेताओं ने कहा कि ये संख्याएं अदालत की पिछली टिप्पणियों से मेल नहीं खातीं.पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने कहा, उन्होंने न्यायिक व्यवस्था और बिहार की जनता को गुमराह किया है. पार्टी ने मांग की है कि उन्हें पद से हटाया जाए, लंबित मामलों में गिरफ्तार किया जाए और लोकतंत्र और कानून के राज में जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए उचित जांच की जाए.जन सुराज पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा, जिसमें सम्राट चौधरी को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की गई. पार्टी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने अपनी उम्र गलत बताकर 1995 के नरसंहार मामले में दोषसिद्धि से बचने की कोशिश की. मंगलवार को भेजे गए एक पत्र में जन सुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने दावा किया कि सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि सम्राट चौधरी को 28 मार्च, 1995 के लौना परसा नरसंहार के सिलसिले में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, जिसमें कुशवाहा समुदाय के छह लोग मारे गए थे.

उदय सिंह के अनुसार, सम्राट चौधरी ने मैट्रिकुलेशन का प्रवेश पत्र दिखाकर अपनी रिहाई सुनिश्चित की, जिसमें दिखाया गया था कि उस समय उनकी उम्र 15 वर्ष थी. हालांकि बाद के चुनावी हलफनामों में उन्होंने अपना जन्म वर्ष 1969 बताया, जिससे 1995 में उनकी उम्र 26 साल हो गई. यह विरोधाभास साबित करता है कि उन्हें झूठे दस्तावेज पेश करके जेल से रिहा किया गया था.जन सुराज पार्टी ने दावा किया है कि सम्राट चौधरी उर्फ राकेश कुमार ने एक गंभीर अपराध के आरोप में खुद को नाबालिग बताने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था. उन्होंने कहा कि उन्होंने एक स्कूल सर्टिफिकेट दिखाकर जमानत हासिल की थी जिसमें दावा किया गया था कि उनकी उम्र 16 साल से कम है. बाद में 1999 में जब उन्हें कृषि मंत्री बनाया गया तो राज्यपाल ने उन्हें 25 साल से कम उम्र का होने के कारण पद से हटा दिया. 2000 में उनके विधानसभा चुनाव को भी इसी आधार पर 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द घोषित कर दिया था.उदय सिंह ने तर्क दिया कि इस तरह की कार्रवाइयां शासन में जनता के विश्वास को कम करती हैं. उन्होंने कहा कि सम्राट चौधरी को पद से हटा दिया जाना चाहिए और कानून को अपना काम करने दिया जाना चाहिए. यह कदम सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद उठाया गया है जिसमें पार्टी संस्थापक प्रशांत किशोर ने संकेत दिया था कि जन सुराज इस मामले पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखेगा।