यह देश कैसे बन गया इतना अमीर?न एयरपोर्ट-न सेना और न ही है अपनी करेंसी

दुनिया में कई ऐसे देश हैं जो साइज में काफी बड़े हैं. बड़ी आबादी है. देश में कई एयरपोर्ट, सेना और अपनी करेंसी है. लेकिन, क्या आप एक ऐसे एक देश का नाम जानते हैं जिनके पास न तो अपनी करेंसी है, न ही देश में एक भी एयरपोर्ट है और साथ ही देश के पास अपनी सेना भी नहीं है. लेकिन, इसके बावजूद भी यह देश दुनिया के अमीर देशों में से एक है.इस देश का नाम है लिकटेंस्टाइन (Liechtenstein). लिकटेंस्टाइन साइज में दुनिया के कई शहरों से भी छोटा है. इसका अपना कोई एयरपोर्ट नहीं है और इसने कभी अपनी करेंसी नहीं छापी. इन असामान्य निर्णयों के बावजूद, यह दुनिया के सबसे अमीर देशों में गिना जाता है.ऐसा नहीं है कि इसके अमीर होने के पीछे इसका भाग्य है. बल्कि इसके अमीर देशों में से एक होने के पीछे इसकी स्ट्रेटेजी है. देश ने स्विट्जरलैंड की मुद्रा, स्विस फ्रैंक, को अपनाया है. इसने हवाई अड्डा बनाने का खर्च बचाया और स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रिया की परिवहन सिस्टम पर निर्भर रहना चुना. इसकी भाषा जर्मन है, जो इसके पड़ोसी देशों की भी भाषा है, जिससे व्यापार और आपसी जुड़ाव आसान हो गया. देश के हर निर्णय का मकसद अधिकतम दक्षता और कम से कम खर्च है.इसका परिणाम असाधारण रहा. देश ने अपनी सारी एनर्जी एक बेहतर अर्थव्यवस्था बनाने में लगाई. इसका वित्तीय क्षेत्र मजबूत है, लेकिन इसकी असली संपन्नता उद्योग से आती है.

लिकटेंस्टाइन सटीक इंजीनियरिंग और इनोवेटिव मैन्युफैक्चरिंग (innovative manufacturing) में बेस्ट है. यह डेंटल ड्रिल से लेकर अंतरिक्ष उपकरणों तक विभिन्न प्रोडक्ट बनाता है. विश्व-प्रसिद्ध निर्माण उपकरण कंपनी हिल्टी (Hilti) का मुख्यालय भी यहीं मौजूद है.देश में क्राइम रेट जीरोलिकटेंस्टाइन में नागरिकों से ज्यादा कंपनियां हैं. उच्च मूल्य वाले मैन्युफैक्चरिंग उद्योग रोजगार, प्रति व्यक्ति आय और ऐसी आर्थिक स्थिरता देते हैं जिसकी बराबरी बहुत कम देश कर सकते हैं. पैसे के साथ सुरक्षा भी आती है. यहां अपराध लगभग न के बराबर है और कैदियों की संख्या बेहद कम है. लोग रात में अपने घरों के दरवाजे खुले छोड़ देते हैं. नागरिकों के बीच भरोसे का स्तर इतना गहरा है कि टूरिस्ट अक्सर यह देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं.लिकटेंस्टाइन यह साबित करता है कि किसी देश को प्रगति के लिए हवाई अड्डों, सेनाओं या अपनी करेंसी की जरूरत नहीं होती. बल्कि अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की स्ट्रेटेजी अहम रोल निभाती है.लिकटेंस्टाइन की आबादी 30 हजार से कुछ ज्यादा है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय के आधार पर यह यूरोप का दूसरा सबसे अमीर देश है, जो जीडीपी के लिहाज से ब्रिटेन के शाही परिवार की संपत्ति को भी पीछे छोड़ देता है. इसके पीछे वजह है कम टेक्स व्यवस्था, मजबूत बैंकिंग क्षेत्र, उच्च तकनीकी उद्योग और बाहरी लोन का बिल्कुल न होना. यहां के निवासी वित्तीय रूप से इतने सुरक्षित हैं कि वो अपनी ऊर्जा शौक, परिवार और व्यक्तिगत रुचियों पर केंद्रित कर सकते हैं, न कि सिर्फ रोजगार के लिए काम करने पर.लिकटेंस्टाइन की सबसे दिलचस्प बातों में से एक इसका कम अपराध दर है. देश में क्राइम रेट काफी कम है. पूरे देश में सिर्फ लगभग 7 कैदी और करीब 100 पुलिसकर्मी हैं.प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक आय लगभग 1,97,000 अमेरिकी डॉलर है, जिससे लिकटेंस्टाइन यूरोप में मोनाको के बाद दूसरे स्थान पर है.कर्मचारियों से ज्यादा कंपनीलिकटेंस्टाइन की अर्थव्यवस्था की एक और अनोखी बात है कि यहां कर्मचारियों से ज्यादा कंपनी हैं. देश में जहां लगभग 30 हजार निवासी हैं, वहीं यहां 42,500 नौकरियां हैं, जिनमें से बड़ी संख्या पड़ोसी देशों ऑस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड और जर्मनी से आने वाले सीमा-पार कर्मचारियों की है. इनमें से लगभग 59% कर्मचारी स्विट्जरलैंड से और 37% ऑस्ट्रिया से आते हैं. श्रम भागीदारी दर 76.1% है, जो EU के औसत 74.9% से अधिक है, और बेरोजगारी दर 2% से कम है — जो एक बेहद मजबूत रोजगार बाजार को दर्शाता है.

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