देश के पहले कानून मंत्री डॉ भीमराव अंबेडकर की 134 वीं जयंती पूरा देश मना रहा है. इनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू में हुआ था, जबकि उनका निधन दिल्ली में हुई थी. दिल्ली के अलीपुर रोड पर स्थित प्लॉट नंबर 26 वह स्थान जहां डॉ भीमराव अंबेडकर ने अंतिम सांसें ली थी. वह स्मारक में तब्दील हो चुका है।सोमवार को उनकी जयंती के मौके पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा श्रद्धांजलि देने पहुंचे. वहां उपस्थित मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा समेत अन्य नेताओं के साथ उन्होंने स्मारक में बाबा साहेब से जुड़ीं चीजें रखी थीं, उसे देखा और बाबा साहेब से जुड़ें संस्मरण को सुनाया।इस स्मारक को संविधान की तरह दिखने वाली एक किताब के रूप में डिजाइन किया गया है. यह इमारत आधुनिक और बौद्ध वास्तुकला का मिश्रण है.

संगीतमय फव्वारे, सारनाथ के अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और 12 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा, इस परिसर के कुछ मुख्य आकर्षण हैं. पहली मंजिल में बाबा साहेब के जीवन से संबंधित डिस्प्ले हैं. स्मारक में महात्मा बुद्ध की संगमरमर की मूर्ति के साथ एक ध्यान कक्ष भी है. उन्हें यह बंगला बतौर राज्यसभा सांसद आवंटित किया गया था , जहां वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहा करते थे. छह दिसंबर 1956 को उन्होंने यहीं अंतिम सांस ली. इसके बाद इस बंगले को तोड़कर इस जगह को डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक के रूप में विकसित किया गया।डॉ. अंबेडकर द्वारा निर्मित भारतीय संविधान को विश्वभर में एक अद्वितीय स्थान प्राप्त है. उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी जहां कोई भेदभाव न हो और सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हों. उनका यह दृष्टिकोण आज भी आधुनिक भारत की नींव है. अध्यक्ष ने आगे बताया कि डॉ.अंबेडकर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जो देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. यह सम्मान उनके समाज सुधार, न्याय और समानता के प्रति योगदान को दर्शाता है. उनका जीवन और कार्य सदैव स्मरणीय रहेंगे।