पाकिस्तान में लोगों के सांस लेने पर इमरजेंसी लग गई है। यह सुनकर आपको अजीब लग रहा होगा, मगर यह सच है। आपको बता दें कि यह इमरजेंसी किसी व्यक्ति या सरकार की ओर से नहीं लगाई गई है, बल्कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में शुक्रवार को सुबह एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) का स्तर 2000 के खतरनाक स्तर तक पहुंच गया। ऐसे में लोगों को सांस लेने में मुश्किल होने लगी। साथ ही आंखों में जलन समेत अन्य शिकायतें महसूस होने लगी। तब सरकार को हालात से निपटने के लिए “लॉकडाउन” का ऐलान करना पड़ा। पाकिस्तान के मीडिया न्यूज के अनुसार पंजाब सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रण में लाने के लिए राज्य भर में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। साथ ही लॉकडाउन समेत अन्य एहतियाती कदम उठाए हैं। इनमें राज्य के सभी पार्कों और म्यूजियम में 17 नवंबर तक लोगों के जाने पर पाबंदी लगा दी गई है।

सरकार के अनुसार पीएम का स्तर भी 2.5 पाया गया है। ऐसे में हवा में मौजूद प्रदूषक तत्वों से लोगों की सेहत को भारी नुकसान का खतरा है। हवा में प्रदूषकों का स्तर 947 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आईक्यूएयर गाइडलाइन से 189.4 बार से भी अधिक है। हवा के खराब स्तर के मद्देनजर हालात इस कदर खराब हो गए हैं कि प्रशासन ने स्कूलों को बंद कर दिया है और बच्चों को बाहर प्लेग्राउंड में खेलने पर पाबंदी लगा दी है। लोगों के गले में खरास और सांसों में दिक्कत होने की शिकायत है। पाकिस्तान के लाहौर में भी एक्यूआई का स्तर 12 बजे सुबह तक 1000 दर्ज किया गया है। जबकि यह दुनिया का सबसे प्रदूषित शहरों में है।मीडिया न्यूज के अनुसार लॉकडाउन के बाद लोगों को पार्क, जू, खेल के मैदान, स्मारक, म्यूजियम, खेल के मैदान, शहर की झीलों में जाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। लाहौर से लेकर ननकाना साहिब, गुजरावाला, सियालकोट, फैसलाबाद, चिनीकोट और झांग जैसे सभी महत्वपूर्ण शहरों में भी यह पाबंदी लागू है। एक आधिकारिक अधिसूचना में निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पर पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 188 के तहत लोगों पर एक्शन लेने की चेतावनी दी गई है। 18 जिलों के सरकारी और निजी स्कूलों को पहले ही बंद किया जा चुका है।