राजपूत वोटों को साधने में जुटे कई बड़े दल,तेजस्वी से लेकर बीजेपी तक सब पड़े पीछे

बिहार में भले ही अक्टूबर में विधानसभा चुनाव हो, लेकिन सियासी बिसात अभी से ही बिछाई जाने लगी है. कांग्रेस का फोकस दलित वोटों पर है तो बीजेपी से लेकर जेडीयू और आरजेडी की नजरें राजपूत वोटों पर लगी हैं. राजपूत समुदाय के प्रतीक माने जाने वाले महाराणा प्रताप और वीर कुंवर सिंह के जरिए सियासी दल राजपूत समुदाय के बीच अपनी पैठ जमाने की कवायद करते नजर आ रहे हैं. महाराणा प्रताप की जयंती और वीर कुंवर सिंह की पुण्यतिथि के कार्यक्रम में जिस तरह बीजेपी और आरजेडी के नेता शामिल हुए, उसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।प्रदेश की सियासत में जातिगत सर्वे के मुताबिक 10 फीसदी के करीब सवर्ण जातियों का वोट है, जिसमें 2 बड़ी जातियां ब्राह्मण और ठाकुर यानी राजपूत हैं. बिहार में ब्राह्मणों की आबादी 3.65 फीसदी, राजपूत की आबादी 3.45 फीसदी, भूमिहार 2.86 फीसदी और कायस्थ 0.60 फीसदी है. बिहार में ब्राह्मणों की आबादी ठाकुरों से ज्यादा होने के बावजूद राजनीतिक भागीदारी तुलनात्मक रूप से कम रही है।

तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने 2020 में 18 राजपूतों को टिकट दिया था, जिनमें से महज 8 उम्मीदवार ही जीत सके. आरजेडी ने 8 राजपूतों को टिकट दिया, जिनमें से 7 उम्मीदवारों को जीत मिली तो कांग्रेस के 10 में से एक राजपूत को ही जीत मिल सकी थी. इसके अलावा एक निर्दलीय राजपूत विधायक ने भी जीत दर्ज की।नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में 4 राजपूत मंत्री हैं, जिसमें 2 बीजेपी कोटे से, एक जेडीयू से और एक निर्दलीय शामिल हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार से 6 राजपूत सांसद हैं, जिसमें 3 बीजेपी से और एक जेडीयू, एक एलजेपी (रामविलास) और एक आरजेडी से हैं. ऐसे में यह देखना होगा कि राजपूत समाज 2025 के विधानसभा चुनाव में किस पार्टी के साथ खड़ा नजर आता है।