वायु प्रदूषण नियंत्रण में कई गंभीर खामियां हुई उजागर,CAG की रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा

दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने मंगलवार को वायु प्रदूषण को लेकर CAG की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश कर दिया है. कैग की रिपोर्ट में कई तरह की खामियां गिनाई गई हैं. रिपोर्ट के कुछ प्वाइंट्स सामने आए हैं जो कि हैरान कर देने वाले हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनो की संख्या CPCB मानकों के अनुसार नहीं थी जिसकी वजह से जिससे AQI डेटा अविश्वसनीय रहा।वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली को लेकर जारी रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि उचित वायु गुणवत्ता निगरानी के लिए आवश्यक प्रदूषक सांद्रता डेटा उपलब्ध नहीं था, लेड स्तर की माप नहीं की गई. प्रदूषण स्रोतों पर वास्तविक समय का डेटा उपलब्ध नहीं होने के कारण आवश्यक अध्ययन नहीं किए गए.

वाहनों से होने वाले उत्सर्जन का कोई आकलन नहीं किया गया, जिससे स्रोत-विशिष्ट नीतियां बनाने में कठिनाई हुई. 24 निगरानी स्टेशनों में से 10 में बेंजीन स्तर अनुमेय सीमा से अधिक पाया गया, लेकिन पेट्रोल पंपों से होने वाले उत्सर्जन की प्रभावी निगरानी नहीं की गई।रिपोर्ट में वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए सार्वजनिक परिवहन के लिए जो व्यवस्था बनाई गई थी उसमें भी खामियां गिनाई गई हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक परिवहन बसों की कमी (6,750 उपलब्ध बनाम 9,000 आवश्यक) थी. बस प्रणाली में संचालन की अक्षमताएं, जैसे कि बसों का ऑफ-रोड रहना और तर्कहीन मार्ग योजना भी शामिल है. इसके अलावा 2011 के बाद से ग्रामीण-सेवा वाहनों की संख्या में कोई वृद्धि नहीं हुई, जबकि जनसंख्या बढ़ती रही, पुराने वाहन प्रदूषण में योगदान देते रहे. वहीं, वैकल्पिक सार्वजनिक परिवहन (मोनोरेल, लाइट रेल ट्रांजिट, ट्रॉली बस) के लिए आवंटित बजट का 7 साल तक इस्तेमाल नहीं किया गया।

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