फ्री बिजली पर फीडबैक लेंगे नीतीश कुमार,15 लाख उपभोक्ताओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करेंगे बातचीत

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनावी साल में राज्य के बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत देते हुए 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की घोषणा की है. जुलाई 2025 से लागू इस योजना के तहत बिहार सरकार ने उपभोक्ताओं के खातों में जुलाई की राशि जमा करनी शुरू कर दी है. इस योजना के प्रभाव को समझने और लोगों की राय जानने के लिए 15 लाख बिजली उपभोक्ताओं से संवाद करेंगे. अगस्त महीने में भी 125 यूनिट तक बिजली के लिए रिचार्ज की जरूरत नहीं पड़ रही है. इस योजना से बिहार के करीब 15 लाख बिजली उपभोक्ताओं को सीधा लाभ मिल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक बचत हो रही है.

पूरे बिहार में 3000 स्थानों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. सीएम का यह संवाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से होगा, जिसमें वो खुद लोगों से जुड़ेंगे. पटना जिले में 152 स्थानों पर वेबकास्टिंग के जरिए उपभोक्ता इस कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे. जिला मुख्यालयों पर भी विशेष इंतजाम किए गए हैं, और पटना में मुख्य कार्यक्रम ऊर्जा ऑडिटोरियम में सुबह 11 बजे शुरू होगा. बिहार सरकार ने बिजली बिल में भी बदलाव किया है. अब उपभोक्ताओं को मिलने वाले बिजली बिल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर छपी हुई है. इसे सरकार की मुफ्त बिजली योजना के प्रचार-प्रसार का हिस्सा माना जा रहा है. यह कदम न केवल उपभोक्ताओं को योजना की जानकारी दे रहा है, बल्कि नीतीश कुमार की छवि को भी जनता के बीच मजबूत करने का प्रयास है. आज का जनसंवाद कार्यक्रम भी इस प्रचार का एक हिस्सा माना जा रहा है.इस जनसंवाद कार्यक्रम के लिए सभी जिलों में विशेष इंतजाम किए गए हैं. जिला प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि उपभोक्ता बिना किसी परेशानी के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और वेबकास्टिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री से जुड़ सकें. पटना में ऊर्जा ऑडिटोरियम के अलावा अन्य स्थानों पर भी तकनीकी व्यवस्थाएं की गई हैं ताकि अधिक से अधिक लोग इस कार्यक्रम का हिस्सा बन सकें. यह पहल सरकार और जनता के बीच सीधे संवाद को बढ़ावा देगी।बिहार सरकार पहले से ही बिजली पर सब्सिडी देकर उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध कराती थी. वित्तीय वर्ष में इसके लिए 15,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना थी. हालांकि मुफ्त 125 यूनिट बिजली की नई योजना से सरकार पर 5,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. यह कदम भले ही उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद हो, लेकिन राज्य के वित्तीय संसाधनों पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है।

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