बिहार विधानसभा चुनाव से पहले में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) चल रहा है, जिसको लेकर सियासत भी तेज हो गई है. विपक्ष निर्वाचन आयोग के इस फैसले के खिलाफ लगातार आंदोलन कर रहा है. उसी को लेकर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पूरे बिहार में संयुक्त रूप से वोट अधिकार यात्रा निकालने वाले हैं. चर्चा थी कि 10 अगस्त से इसकी शुरुआत हो सकती है लेकिन यह यात्रा कुछ दिनों के लिए टल गई है।

चुनाव से पहले लोकसभा में विपक्ष के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की “वोट अधिकार यात्रा” का कार्यक्रम कुछ दिनों के लिए टल गया है. राजद की तरफ से पत्र जारी कर यह सूचना दी गई है कि दोनों नेताओं का संयुक्त कार्यक्रम टल गया है, वहीं बहुत जल्द नए कार्यक्रम के शेड्यूल की सूचना दी जाएगी।राष्ट्रीय जनता दल के द्वारा वोट अधिकार यात्रा के स्थगित होने के संबंध में अपने सभी सांसद, पूर्व सांसद, विधायक समेत जिला अध्यक्ष और पार्टी के प्रखंड स्तर तक के वरिष्ठ नेताओं के नाम पत्र में यह जानकारी दी गई है।आरजेडी के प्रदेश प्रधान महासचिव रणविजय साहू द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव की वोट अधिकार यात्रा के कार्यक्रम में अपरिहार्य कारणों से बदलाव किया गया है. इस कारण पूर्व निर्धारित तिथि को निरस्त कर दिया गया है. नई तिथि की घोषणा जल्द की जाएगी, और आगामी कार्यक्रम की जानकारी ससमय दी जाएगी।30 जुलाई को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जानकारी दी थी कि बिहार में चल रहे SIR को लेकर विपक्ष लगातार निर्वाचन आयोग के सामने अपनी मांग रख रहा है. लेकिन निर्वाचन आयोग के तरफ से विपक्ष के किसी भी बात का जवाब नहीं दिया जा रहा है, ना किसी विपक्ष के नेताओं को बुलाकर बातचीत की जा रही है. बिहार में आम आदमी के वोटो के अधिकार को छीनने का प्रयास किया जा रहा है. इसी को लेकर बिहार में वोट अधिकार यात्रा निकलने का फैसला किया गया है.विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग ने एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) के तहत राज्य के निवासियों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए एक सर्वेक्षण शुरू किया है. इसके तहत बिहार के 2003 के बाद बने मतदाताओं को बिहार निवास प्रमाण पत्र के 11 में से कोई 1 प्रमाण पत्र जमा करना है. एसआईआर का उद्देश्य वोटर लिस्ट को अपडेट करना, नये मतदाता जोड़ना, मृतकों के नाम हटाना है. SIR का पहला चरण पूरा भी हो गया है।चुनाव आयोग ने मृतक, दो जगह पर मतदाता सूची में नाम एवं स्थाई रूप से पलायन कर चुके मतदाताओं की पहचान करने के लिए डेटा क्लीनिंग की है. बिहार में करीब 7.75 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें से लगभग 65 लाख नाम काटे जा सकते हैं. इसमें सबसे पहले स्थान पर पटना और दूसरे स्थान पर मधुबनी है।