चीन और तुर्की के सहारे कुछ नहीं कर पाया पाकिस्तान,दुनिया ने देखी भारत की ताकत

पाकिस्तान 48 घंटे में ही तबाही के दरवाजे तक जा पहुंचा था लेकिन युद्धविराम ने उसे बचा लिया. पाकिस्तान जिन हथियारों के दम पर भारत में तबाही मचाने का ख्वाब देख रहा था, वो हथियार बुरी तरह फेल हो गए. पाकिस्तान ने अधिकतर हथियार चीन और तुर्किए से खरीदे थे. जो वक्त आने पर फुस्स साबित हुए. पाकिस्तान के सारे हमले भी नाकाम हुए बल्कि भारत के ताबड़तोड़ प्रहार को भी वो रोक नहीं पाया. भारत ने पाकिस्तान के हमलों को ऐसा करारा जवाब दिया, जिसकी गूंज तुर्किए और चीन तक भी पहुंच गई होगी. क्योंकि पाकिस्तान के बैकफुट पर आने के साथ ही उनके हथियारों की पोल भी खुल चुकी है.पाकिस्तान में तबाही का दायरा कई शहरों तक पहुंच गया. इसलिए मुनीर और शहबाज की घबराहट बढ़ गई थी. मुनीर की सेना घबराने लगी थी. आखिर कैसे मुकाबले में टिका जा सके. क्योंकि तुर्किए और चीन से मिले हथियार बेदम साबित हो चुके थे.भारत पर हमले की कोशिश नाकामतुर्किए से मिले ड्रोन से पाकिस्तान ने भारत में तबाही मचाने का मंसूबा पाले हुए था, लेकिन पाकिस्तान के ड्रोन बॉर्डर पार करने की कोशिश करते. इतने में भारत की पहरेदारी में लगे डिफेंस सिस्टम एस-400 और आकाश उन्हें तबाह कर दिया.

दूसरी तरफ जब भारत रेसिप्रोकल अटैक करता तो पाकिस्तान के सुरक्षा ठिकानों पर लगे चाइनीज डिफेंस सिस्टम उन्हें रोक नहीं पा रहे थे. इससे पाकिस्तान की बिलबिलाहट बढ़ती जा रही थी.भारत ने बीती रात पाकिस्तान के 8 एयरबेस पर तबाही मचाई. जबकि इससे पहले पाकिस्तान ने 300 से 400 ड्रोन हमले के लिए भेजे थे, जो चीन से लिए ड्रोन थे. चीन की तकनीक भारत के आगे पस्त हो गई.पाकिस्तान के दागे एक एक चीनी ड्रोन को भारत ने मार गिराया. इसके बाद शुरू हुआ बदले का चरण जिसमें पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर जमकर तबाही मचाई. जिससे पाकिस्तान पूरी तरह पस्त हो गया.भारत ने पूरी ताकत से हमला नहीं किया था. सिर्फ पाकिस्तान के हमलों का जवाब दिया जा रहा था. तब पाकिस्तान घुटनों पर आ गया, अगर पूरी ताकत से हमला कर दिया होता तो पाकिस्तान का विनाश निश्चित था. आखिर किराए के हथियारों से कितने दिन तक पाकिस्तान लड़ पाता.पाकिस्तान के ‘मेड इन तुर्किए’ ड्रोन जिसके सारे हमले भारत ने नाकाम कर दिया उसका नाम एसिसगार्ड सोंगर है. ये एक लो एटीट्यूड क्वाड्रोटोर कॉम्बैट ड्रोन है. ये ड्रोन तुर्किए से पाकिस्तान ने खरीदे थे. 2019 में तुर्किए ने एसिसगार्ड ड्रोन बनाया था.2022 तुर्किए-पाकिस्तान में डिफेंस डील हुई थी. 2023 में तुर्किए से पाकिस्तान पहली खेप पहुंची थी. एसिसगार्ड सोंगर ड्रोन GPS गाइडेड नेविगेशन सिस्टम से लैस है. ये 3000 मीटर तक ऊंचाई से प्रहार कर सकता है. इसकी ऑपरेशनल रेंज- 5-10 किमी. है. उड़ान क्षमता 30 से 60 मिनट है. इसकी स्पीड- 120 किमी./घंटा है, जबकि पेलोड क्षमता- 5 किलो है.48 घंटों में ही पाकिस्तान की सैन्य क्षमता की पोल खुल गई. भारत के आगे मुनीर और शहबाज की सारी प्लानिंग ध्वस्त हो गई. तुर्किए और चीन से मिले हथियार पूरी तरह फेल हो गए. अब पाकिस्तान के पास भारत की शर्तों पर झुकने के अलावा कोई रास्ता नहीं था. हालांकि उसने 48 घंटे में अपने फुस्स हथियारों से भारत पर हमले की कोशिश की थी. लेकिन पाकिस्तान के हमले विफल रहे और उसके हथियारों का अंजाम क्या हुआ.हमलों ने बढ़ाई थी सबकी टेंशनहनुमानगढ़, सिरसा,आरएसपुरा,पोखरण,जैसलमेर और अमृतसर में पाकिस्तान ने हमले करने की कोशिश की. भारत ने हर हमले को नाकाम कर दिया और इसे भारत के एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से किया. कई इलाकों में पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल के मलबे मिले. जिनके गिरने से शुरू में तो दहशत हुई लेकिन बाद में पता लगा कि डिफेंस सिस्टम ने इन हमलों का नाकाम किया. तो स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली.चीन और तुर्की के हथियार किसी काम के नहींपाकिस्तान बॉर्डर से लगते इलाकों में पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन और मिसाइलें दागी गई थीं. खासतौर से भारत के सैन्य ठिकानों को टारगेट की तैयारी थी. वो भी तुर्किए और चीन से मिले हथियारों के दम पर. जो पूरी तरह फुस्स साबित हुए. पटाखों जितना विस्फोट भी नहीं कर पाए. जिसके बाद पाकिस्तान में कोहराम मच गया..कहीं चीन और तुर्किए ने अपने सबसे खराब हथियार तो पाकिस्तान को नहीं सौंप दिए.. क्योंकि जब भारत ने पलटवार किया था. तो चीन से मिला डिफेंस सिस्टम भी भारतीय हथियारों के सामने पूरी तरह पस्त हो चुका था. इसी वजह से भारत ने एयर स्ट्रिप से लेकर कई सैन्य ठिकानों को ध्वस्त करके पाकिस्तान को दहला दिया.भारत के हमलों से चीन का डिफेंस सिस्टम HQ-9 फुस्स हो गया. इसकी डील 2015 में हुई थी. चीन ने रूस के S-300 से कॉपी किया था. इसकी पहली तैनाती कराची आर्मी डिफेंस सेंटर में की गई थी. हालांकि ये सिस्टम भारत के हमलों को रोक पाने में पूरी तरह नाकाम रहा. चीन का ये सिस्टम मल्टीपल एयर अटैक रोकने की क्षमता रखता है लेकिन नाकाम साबित हुआ. HQ-9 की रेंज 100 किमी है. सिंगल शॉट कैपेबिलिटी लेकिन भारत के ड्रोन ने ही पूरे सिस्टम को भेद दिया.