Blog

झारखंड में इंडिया गठबंधन की वापसी बनी बीजेपी के लिए मुसीबत!

झारखंड में इंडिया गठबंधन की वापसी बनी बीजेपी के लिए मुसीबत!
  • PublishedNovember 23, 2024

झारखंड और महाराष्ट्र का जनादेश 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक उलट है. दोनों ही राज्यों में 6 महीने के भीतर ही जनता ने बड़ा यूटर्न ले लिया है. झारखंड में जहां 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बढ़त मिली थी. वहीं अब यहां हेमंत सोरेन गठबंधन ने जीत हासिल कर लिया है.यही हाल महाराष्ट्र का भी रहा. यहां पर 2024 के लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी को बढ़त मिली थी. अब विधानसभा के चुनाव में यहां महाविकास अघाड़ी बुरी तरह पिछड़ गई है. सवाल उठ रहा है कि आखिर 6 महीने के भीतर ही जनता ने यूटर्न कैसे ले लिया?2024 के लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी को 31 सीटों पर जीत मिली थी. यहां पर लोकसभा की कुल 48 सीट है. विधानसभा वाइज देखा जाए तो महाविकास अघाड़ी को 151 सीटों पर बढ़त मिली थी, लेकिन 6 महीने में ही जनता ने यहां यूटर्न ले लिया है.महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी में शामिल पार्टियां 3 अकों तक भी पहुंचती नजर नहीं आ रही है. महायुति ने मुंबई समेत सभी इलाकों में क्लीन स्विप कर लिया है. महाराष्ट्र में हवा के रूख बदलने के 4 प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं.1. महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में जो पार्टियां जीतती है. पिछले 20 साल से वहां की जनता उसी पार्टी की सरकार बनवाने का काम करती है. 2024 में तमाम उलटफेर के बावजूद बीजेपी केंद्र में सरकार बनाने में सफल हुई. इसका असर जनता के मूड पर भी देखने को मिला है.2. विपक्ष यह बताने में विफल रही कि आखिर शिंदे सरकार को क्यों हटाया जाए? महाराष्ट्र में विपक्ष गद्दारी को मुद्दा बनाने की कवायद में जुटी थी, जिसे जनता ने स्वीकार नहीं किया. सीट बंटवारे को लेकर उद्धव और कांग्रेस की चिकचिक भी हार में बड़ी भूमिका निभाई है.3. कांग्रेस विदर्भ के इलाके में फेल साबित हुई है. पार्टी के कद्दावर नेता यहां चुनाव हार गए हैं. हिंदुत्व के मुद्दों ने महाराष्ट्र में जातिगत समीकरण को कमजोर किए. जनता जातिगत समीकरण छोड़ धर्म के मुद्दे पर मुखर हो गई.4. एकनाथ शिंदे की सरकार महिलाओं को साधने में सफल रही. सुरक्षा और महिला सम्मान के मुद्दे पर सरकार ने महिलाओं को साधा. वोट प्रतिशत पर भी इसका असर देखने को मिला है. कहा जा रहा है कि महिलाएं ही इस बार महाराष्ट्र में गेमचेंजर बनी हैं.अब झारखंड के खेल को समझिएलोकसभा चुनाव में झारखंड की 14 में से 9 सीटों पर बीजेपी जीतने में कामयाब रही थी. इंडिया गठबंधन को सिर्फ 5 सीटों पर ही जीत मिल पाई थी. विधानसभा वाइज अगर आंकड़े देखा जाए तो बीजेपी को 51 सीटों पर बढ़त मिली थी, लेकिन अब जो नतीजे आए हैं, उसमें बड़ा उलटफेर देखने को मिला है.बीजेपी गठबंधन 20 सीटों के आसपास सिमटती नजर आ रही है।

झारखंड में बीजेपी के साथ हुए इस खेल के पीछे के 3 प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं.1. हेमंत सोरेन के मुकाबले बीजेपी के पास स्थानीय मजबूत चेहरा नहीं था. बीजेपी इसलिए लोगों को साध नहीं पाई. पूरे चुनाव में हेमंत फैक्टर हावी रहा. बीजेपी चुनाव में कलैक्टिव लीडरशिप के भरोसे लड़ रही थी. जनता ने इसे नकार दिया.2. झारखंड में बीजेपी आदिवासी और मुस्लिम समीकरण को तोड़ने पर ज्यादा फोकस किया. हर इलाके में संथाल के इस मुद्दे को ही बीजेपी ने हावी रखा. पार्टी को इसका नुकसान हुआ. जेएमएम स्थानीय मुद्दे को लेकर जनता के बीच गई, जिसे लोगों ने पसंद किया.3. महिलाएं झारखंड में भी फैक्टर बनकर उभरी हैं. झारखंड की 68 विधानसभा सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले ज्यादा मतदान किया. नतीजे पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. हेमंत सोरेन ने लोकसभा के बाद यहां मैया सम्मान योजना लागू किया था।

Written By
Aagaaz Express

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *