लालू प्रसाद यादव का मौके पर दिया बयान चर्चा में है। वह विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लुसिव एलायंस की कमान अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को देना चाहते हैं। देशभर में इस नाम पर अब विमर्श भी शुरू हो गया है। बयान आने लगे हैं। लालू ने इसके साथ नीतीश कुमार भी आपत्तिजनक टिप्पणी की। कहने के लिए उस मजाक के साथ कही गई इस बात को भी मजाक में उड़ाने वाला कह सकते हैं, लेकिन लालू को जानने वाले जानते हैं कि वह मजाक में भी गंभीर बात कहने के आदी हैं। विपक्षी दलों के पटना में महाजुटान के समय उन्होंने राहुल गांधी को ‘दूल्हा’ बनाने की बात कही थी, वही बाद में हुआ भी। राहुल ही लोकसभा में विपक्ष के नेता बने। लेकिन, अब सवाल उठ रहा है कि लालू यादव आखिर पलटे तो क्यों? वस्तुत: कई वजहें हैं।लालू प्रसाद यादव बीमारी के नाम पर कोर्ट से छूट में भले हैं, लेकिन सक्रियता के हिसाब से वह बीमार नहीं हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन में रहते हुए जब पटना में देशभर के विपक्षी दलों का महाजुटान कर रहे थे, तब भी लालू बीमार नहीं थे।

जब नीतीश कुमार महागठबंधन से निकल कर 2020 के जनादेश की वापसी कराते हुए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के मुख्यमंत्री बने और बहुमत साबित करने में रोड़ा अटकाना था, तब भी लालू बीमार नहीं थे। लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों के पक्ष और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वोट कराने की अपील करते समय भी वह बीमार नहीं थे। और, पिछले दिनों बिहार विधानसभा की चार सीटों के लिए हुए उप चुनाव के समय प्रचार करते हुए भी वह बीमार नहीं थे। इसलिए, बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने उन्हें शारीरिक-मानसिक बीमार भले बताया, लेकिन वह बीमार नहीं हैं। उलटा, वह किसी भी अन्य नेता से ज्यादा सक्रिय और आगे की तैयारी में नजर आते हैं।