2027 में होने वाली जनगणना को लेकर केंद्र सरकार पर भड़के तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन

केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2027 में जाति सहित जनसंख्या जनगणना की घोषणा के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्र पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने इसे दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु के खिलाफ एक सुनियोजित राजनीतिक साजिश बताया है।सीएम स्टालिन ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, भारतीय संविधान के अनुसार 2026 के बाद पहली जनगणना के आधार पर परिसीमन होना चाहिए. भाजपा ने अब जनगणना 2027 तक टाल दी है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि उनका इरादा तमिलनाडु का संसदीय प्रतिनिधित्व कम करने का है. उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले ही इस साजिश की चेतावनी दी थी और अब यह सच्चाई सामने आ रही है. पलानीस्वामी चुप नहीं हैं, बल्कि इस विश्वासघात में शामिल हैं. उन्होंने दिल्ली के वर्चस्व के आगे घुटने टेक दिए हैं।

स्टालिन ने केंद्र से मांग की कि वह जनगणना और परिसीमन को लेकर स्थिति स्पष्ट करे और तमिलनाडु के लोगों को विश्वास में ले.तमिलनाडु के लोग निष्पक्ष परिसीमन की अपनी मांग में एकजुट हैं. हमें केंद्र से स्पष्ट जवाब चाहिए।केंद्र सरकार के अनुसार, जनसंख्या एवं जातिगत जनगणना वर्ष 2027 में दो चरणों में होगी. सामान्य राज्यों के लिए संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 (00:00 बजे) होगी. जबकि लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड जैसे विशेष इलाकों के लिए यह तिथि 1 अक्टूबर 2026 निर्धारित की गई है. जनगणना अधिनियम, 1948 की धारा 3 के अंतर्गत यह प्रक्रिया की जाएगी, और इसकी अधिसूचना 16 जून 2025 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित किए जाने की संभावना है।संविधान के अनुसार, 2026 के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर देश में लोकसभा और विधानसभा सीटों का पुनर्निर्धारण किया जाना है. इससे उत्तर भारत की अधिक जनसंख्या वाले राज्यों को ज्यादा सीटें मिल सकती हैं, जबकि दक्षिण भारत, जहाँ जनसंख्या वृद्धि नियंत्रित रही है, का प्रतिनिधित्व कम हो सकता है. इसी संभावना को लेकर दक्षिणी राज्यों में चिंता और असंतोष है. स्टालिन का यह बयान उसी चिंता को राजनीतिक विरोध में तब्दील करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।