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सपा और कांग्रेस के बीच बढ़ता जा रहा है तनाव,जान लीजिए पूरी इनसाइड स्टोरी

सपा और कांग्रेस के बीच बढ़ता जा रहा है तनाव,जान लीजिए पूरी इनसाइड स्टोरी
  • PublishedJune 13, 2025

उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस ने मिलकर बीजेपी को करारी मात दी थी. अब एक साल बाद दोनों ही दलों के रिश्ते पटरी से उतरते नजर आ रहे हैं. कांग्रेस यूपी में अपने खोए सियासी आधार को दोबारा से हासिल करने में जुटी है तो सपा अपनी राजनीतिक जमीन पर हरहाल में पकड़ बनाए रखना चाहती है. कांग्रेस और सपा के बीच असल लड़ाई मुस्लिम वोटों को लेकर है. कांग्रेस मुस्लिम वोटों को अपने पाले में रखने की कवायद में तो सपा किसी भी सूरत में अपनी पकड़ कमजोर नहीं होने देना चाहती. इसके चलते ही दोनों पार्टियों के बीच शह-मात का खेल चल रहे हैं।कांग्रेस की तरफ से सांसद इमरान मसूद ने खुद मुस्लिमों को साधने के लिए मोर्चा संभाल रखा है.

पहले सपा विधायक आशु मलिक उतरे और अब दो दिन पहले सांसद राजीव राय ने इमरान मसूद को बीजेपी का स्लीपर सेल बताया है. इसके बाद इमरान ने जवाबी हमला करते हुए अखिलेश यादव की मुस्लिम पॉलिटिक्स पर सीधा हमला बोल दिया. उन्होंने कहा कि सपा को बोलते हुए हूं मुसलमान नहीं चाहिए बल्कि दरी बिचाने वाले चाहिए. इमरान मसूद यहीं नहीं रुके उन्होंने सपा की मुस्लिम सियासत की परत-दर-परत खोलकर रख दिया।इमरान मसूद 2024 में सहारनपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए. इमरान को 17 साल के बाद 2024 में जीत मिली थी, जिसके बाद से ही मुस्लिम चेहरा बनने की कवायद में जुटे हुए हैं. वक्फ संशोधन कानून के लिए बने जेपीसी में सदस्य रहते हुए इमरान मसूद ने पूरी मजबूती के साथ मुस्लिमों की बात रखी थी. सांसद से सुप्रीम कोर्ट तक वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ इमरान मसूद खड़े नजर आए. इसके अलावा मुस्लिमों के जुड़े मुद्दे पर मुखर हैं और सपा से लेकर दूसरे दलों पर सवाल उठाते रहते हैं।इमरान मसूद ने पहले सहारनपुर के देहात सीट से सपा विधायक आशू मलिक के खिलाफ मोर्चा खोला था और अब सपा की मुस्लिम सियासत को कठघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया है. इसके अलावा 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए इमरान साफ कह चुके हैं कि कांग्रेस को सम्मान जनक सीटें मिलती हैं, तभी सपा के गठबंधन होगा. कांग्रेस अब 17-80 वाले फॉर्मूले पर नहीं चलेगी. कांग्रेस को लोकसभा में 17 सीटें मिली थी और उस लिहाज से विधानसभा की 80 सीटें मिलने की बात है. इमरान ने इस फॉर्मूले को पूरी तरह से नकार रहे हैं, जिसे लेकर सपा उनको बीजेपी का एजेंट बताने लगी है।सपा की तरफ से पहले विधायक आशु मलिक उतरे और अब सांसद राजीव राय ने दो दिन पहले इमरान पर करारा हमला करते हुए उन्हें बीजेपी का एजेंट करार दिया. राजीव राय ने कहा कि इमरान मसूद को ना कांग्रेस ने अधिकृत किया है, और ना ही वो इंडिया गठबंधन के प्रवक्ता है और ना ही उत्तर प्रदेश के प्रभारी हैं. वो सपा के सहारे जीते हुए एक सांसद हैं. उनको ऐसी भाषा नहीं बोलनी चाहिए जिसकी उम्मीद बीजेपी करती है।राजीव राय ने कहा कि बीजेपी को मदद करने के लिए वो ऐसे अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि इमरान मसूद तो बीजेपी के स्लीपर सेल की तरह काम कर रहे हैं. इसका संज्ञान कांग्रेस को लेना चाहिए. वहीं, सपा के विधायक आशु मलिक ने इमरान मसूद को बीजेपी के इशारे पर काम करने के आरोप लगाते हुए हमला बोला था. इसके अलावा सपा के कई नेताओं ने इमरान मसूद के सियासी तेवरों की अलोचना कर चुके हैं।सपा सांसद राजीव राय ने इमरान मसूद को बीजेपी की स्लीपर सेल बताकर उनके तेवर को और भी आक्रामक बना दिया है. इमरान मसूद ने सपा की मुस्लिम पॉलिटिक्स की जड़े पूरी तरह से हिलाकर रख दी है. इमरान ने कहा कि लोग तय करेंगे कि कौन बीजेपी का स्लीपर सेल है. आगे चलकर आपके लिए बीजेपी का तो रास्ता खुल सकता है, लेकिन हमारे लिए कभी नहीं खुल सकता. उन्होंने कहा कि हमें स्लीपर सेल बताना आसान है, क्योंकि, सपा को बोलता हुआ मुसलमान नेता बर्दाश्त नहीं होता है. सपा को दरी बिछाने वाले नेता चाहिए, बोलते हुए मुस्लिम नहीं।मुस्लिम वोट बंटता रहा, लेकिन 2022 के चुनाव में एकमुश्त होकर सपा के साथ गया।मुसलमानों का सपा के साथ एकजुट होने का फायदा अखिलेश यादव को मिला. सपा 47 सीटों से बढ़कर 111 सीटों पर पहुंच गई. सीएसडीएस की रिपोर्ट के मुताबिक 83 फीसदी मुस्लिम सपा के साथ थे. बसपा और कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवारों को भी मुसलमानों ने वोट नहीं किया था. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को भी मुस्लिमों ने नकार दिया था. इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय ने कांग्रेस-सपा गठबंधन को 90 फीसदी वोट दिया है. सपा ने 37 और कांग्रेस ने 6 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही. यहीं से कांग्रेस और सपा के बीच मुस्लिम वोटों को लेकर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है।

Written By
Aagaaz Express

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