देश में इस शहर की हवा सबसे खराब,जानिए क्यों बिगड़ गया है वायु प्रदूषण स्तर?

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी) द्वारा स्वच्छ वायु सर्वेक्षण रिपोर्ट 2025 जारी की गई. रिपोर्ट में दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में चेन्नई सबसे निचले स्थान पर है. चेन्नई 41 बड़े शहरों (10 लाख से अधिक जनसंख्या) में से 41वें स्थान पर है. चेन्नई का स्कोर मात्र 115.3 रहा. पहले स्थान पर पूरे 200 अंकों के साथ इंदौर ने जगह बनाई.अन्य प्रमुख शहर जैसे जबलपुर, आगरा और सूरत भी शीर्ष तीन में शामिल रहे, जिन्हें ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु शहर’ का खिताब मिला. राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत किए गए इस सर्वेक्षण में जनसंख्या के आधार पर तीन श्रेणियों में 130 शहरों का मूल्यांकन किया गया. शहरों का मूल्यांकन सड़क धूल प्रबंधन, वाहनों से होने वाले उत्सर्जन नियंत्रण, औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण धूल, ठोस अपशिष्ट दहन (ठोस कचरे को नियंत्रित वातावरण में उच्च तापमान पर जलाना) और जन जागरूकता अभियानों सहित कई मानदंडों पर किया गया।

चेन्नई की खराब रैंकिंग चुनौती की गंभीरता को दर्शाती है, लेकिन नतीजे कुल मिलाकर तमिलनाडु के लिए मिली-जुली तस्वीर पेश करते हैं. तिरुचि ने कहीं बेहतर प्रदर्शन किया और 186 अंकों के साथ दस लाख से ज्यादा आबादी वाली श्रेणी में 9वां स्थान हासिल किया. यह दक्षिण भारत का एकमात्र शहर है, जो शीर्ष 10 में शामिल है. इसके विपरीत, एक अन्य प्रमुख शहर मदुरै का प्रदर्शन बहुत खराब रहा. मदुरै 116.1 अंकों के साथ चेन्नई से थोड़ा आगे, 40वें स्थान पर रहा.छोटे शहरों (3 लाख से कम आबादी) की श्रेणी में, थूथुकुडी 125.6 के निम्नतम स्कोर के साथ 40 में से 36वें स्थान पर रहा. अधिकारियों ने कहा कि चेन्नई की यह समस्या वाहनों से होने वाले उत्सर्जन, निर्माण और सड़क की धूल, तथा अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़ी लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को दर्शाती है. एनसीएपी के तहत कई परियोजनाओं, जिनमें मशीनीकृत सफाई, हरित पट्टी विकास और खुले में जलाने पर सख्त कार्रवाई शामिल है, के बावजूद प्रगति सीमित प्रतीत होती है.पर्यावरणविदों का तर्क है कि चेन्नई के तेजी से बढ़ते शहरीकरण, सार्वजनिक परिवहन के खराब एकीकरण और निजी वाहनों पर बढ़ती निर्भरता ने वायु प्रदूषण के स्तर को और बिगाड़ दिया है. आईआईटी मद्रास के एक वायु गुणवत्ता विशेषज्ञ ने कहा, “सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने और इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने, निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल को नियंत्रित करने और उद्योगों को स्वच्छ ईंधन की ओर ले जाने जैसे निर्णायक उपायों के बिना, स्थिति और बिगड़ती ही जाएगी.”