आज इस योग में मनाई जा रही सरस्वती पूजा,जानिए पूजा विधि,मंत्र और मुहूर्त

बसंत पंचमी का त्योहार हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था. बसंत पंचमी के दिन ही भगवान ब्रह्मा जी के जिह्वा से वाणी, ज्ञान और बुद्धि की देवी माता सरस्वती प्रकट हुई थीं. इसलिए हर साल बसंत पंचमी पर विद्या की देवी मां सरस्वती की विधिवत पूजा की जाती है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा करने से ज्ञान और धन का आशीर्वाद मिलता है. बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनना और पीले रंग का भोग लगाता शुभ माना जाता है. यही कारण है कि मां सरस्वती को बुंदिया, मिश्रीकंद, बैर एवं लड्डू का भोग लगाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि पीला रंग देवी को अति प्रिय है।
पूजा का शुभ मुहूर्त:
इस वर्ष सरस्वती पूजा को लेकर शुभ मुहूर्त को लेकर ज्योतिषाचार्य पुनीत आलोक छवि का कहना है कि 3 फरवरी 2025 को प्रातः काल से ही शुभ मुहूर्त प्रारंभ है. 3:24 से वह सुबह मुहूर्त प्रारंभ होकर के दोपहर के 1:28 तक पूर्ण रूप से है. उसके बाद संध्या 4 बजे से 6:30 के मध्य इसके पूर्ण फल की प्राप्ति का मुहूर्त बन रहा है.144 साल बाद अबूझ मुहूर्त का संयोग:ज्योतिषाचार्य पुनीत आलोक छवि का कहना है कि इस वर्ष बसंत पंचमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग अबूझ मुहूर्त है. इन सब योगों के साथ पंचग्रही सभी ग्रह एक सीधी रेखा में लंबवत रूप में 3 फरवरी को 28 घंटे के जिसमें 2 फरवरी के रात्रि का भी प्रहार शामिल है लेकिन 3 फरवरी को पूर्ण दिवा रात्रि यह मां सरस्वती के विद्यादायिनी स्वरूप का पंचग्रही योग है. जो 144 साल के बाद पुनः बन रहा है. इस समय में मां के स्वरूप की पूजा आराधना करना सबसे सर्वोत्तम फलदाई होगा।

छात्रों के लिए पूजा की विधि:
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि जो छात्र सरस्वती पूजा में बैठ रहे हैं, वह पीले वस्त्र पीले आसन एवं पीले प्रसाद और फल के साथ वैदिक मंत्र “वद वद वाग वादिनी” उच्चारण के साथ गणेश पूजा के के बाद इस मंत्र की आराधना से पूर्ण फल की प्राप्ति होती है. जीभा की सिद्धि प्राप्त होती है. सनातन धर्म में यह भी कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन छोटे बच्चे जो अब पढ़ाई की शुरुआत करने वाले होते हैं, उसे दिन उन्हें माता सरस्वती के सामने स्लेट और पेंसिल पर पहली बार विद्या आरंभ करने की शुरुआत करते हैं।
सरस्वती पूजा मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः।
मां सरस्वती की आरती:
जय सरस्वती माता,
मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥
॥ जय सरस्वती माता…॥
मां सरस्वती का ध्यान मंत्र:
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।