रूसी तेल को लेकर ट्रंप ने किया ये बड़ा दावा!जानकर आप हो जाएंगे हैरान
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और रूस के संबंधों को लेकर एक बड़ा बयान दिया है, जिसने अंतरराष्ट्रीय गलियारों में नई हलचल पैदा कर दी है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ दक्षिण कोरिया में होने वाली महत्वपूर्ण बैठक से ठीक पहले, ट्रंप ने दावा किया है कि भारत ने रूसी तेल की खरीद पूरी तरह से बंद कर दी है. उनका कहना है कि यह कदम रूस के ऊर्जा क्षेत्र पर लगाए गए नए अमेरिकी प्रतिबंधों के सीधे दबाव का नतीजा है.ट्रंप ने वाशिंगटन में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “हमने रूस पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, वे काम कर रहे हैं. चीन रूसी तेल की खरीद में भारी कमी कर रहा है, और भारत… भारत तो पूरी तरह से पीछे हट गया है.” यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका, रूस के राजस्व को सीमित करने के लिए दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर लगातार दबाव बना रहा है.डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान सिर्फ एक सामान्य टिप्पणी नहीं है, बल्कि यह उनकी विदेश नीति की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा लगता है. वह अगले सप्ताह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने वाले हैं, और इस मुलाकात से पहले वह यह दिखाना चाहते हैं कि उनके द्वारा लगाए गए प्रतिबंध सफल हो रहे हैं. यह दावा कर कि भारत जैसे बड़े खरीदार ने घुटने टेक दिए हैं, ट्रंप चीन पर भी वैसा ही करने के लिए मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने भारत की तेल खरीद को लेकर ऐसा दावा किया हो.

इससे पहले भी वह कह चुके हैं कि भारत धीरे-धीरे अपनी खरीद कम करेगा और इस साल के अंत तक यह “लगभग शून्य” हो जाएगी. ट्रंप का यह बयान उनके इस विश्वास को दिखाता है कि अमेरिकी प्रतिबंध मॉस्को को आर्थिक रूप से कमजोर कर सकते हैं.भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति कुछ भी दावा करें, लेकिन भारत ने उनके बयानों को लगातार और स्पष्ट रूप से खारिज करता रहा है. नई दिल्ली का रुख इस मामले में बिल्कुल साफ रहा है. भारत सरकार ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि उसकी ऊर्जा नीति किसी बाहरी दबाव से नहीं, बल्कि पूरी तरह से अपने राष्ट्रीय हितों और देश की जनता के लिए किफायती आपूर्ति की जरूरत से तय होती है.भारत ने कभी भी अमेरिकी नेतृत्व वाले किसी ऐसे बयान पर सहमति नहीं दी है, जिसमें रूसी तेल आयात में कमी करने की बात कही गई हो. भारत का मानना है कि एक संप्रभु राष्ट्र के तौर पर उसे यह अधिकार है कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए दुनिया में किसी भी देश से तेल खरीद सके. नई दिल्ली के लिए, ऊर्जा सुरक्षा सर्वोपरि है और वह इसे किसी भी भू-राजनीतिक दबाव के आगे नहीं झुकाएगा.इस दावे के पहले, ट्रंप प्रशासन ने रूस पर वित्तीय दबाव बढ़ाने के लिए दो बड़ी रूसी तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकऑयल पर नए और कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. इन प्रतिबंधों का एकमात्र उद्देश्य मॉस्को के खजाने को खाली करना है, ताकि वह अपने सैन्य अभियानों के लिए ऊर्जा निर्यात से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल न कर सके. ट्रंप का यह दावा कि भारत ने खरीद बंद कर दी है, असल में दुनिया को यह संदेश देने की एक कोशिश है कि उनके ये कड़े प्रतिबंध कितने असरदार हैं।