भारत अपनी समुद्री लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए नौसेना के बेड़े में बहुत जल्द ही दो स्वदेशी युद्धपोत और एक डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बी को शामिल करने जा रहा है। पहली बार एक पनडुब्बी, एक विध्वंसक और मिसाइल फ्रिगेट जहाज एक साथ भारतीय नौसेना में शामिल होने जा रहे हैं। भारतीय नौसेना प्रोजेक्ट 75 की आखिरी कलवरी सीरीज की पनडुब्बी को शामिल करने के लिए तैयार है, पनडुब्बी का नाम INS वाग्शीर है। वहीं, प्रोजेक्ट 15 के तहत विशालपट्टनम सीरीज के आखिरी विध्वंसक जहाज INS सूरत को बेड़े में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा प्रोजेक्ट 17 ए के तहत नीलगिरि सीरीज का जहाज INS नीलगिरि को भी बेड़े का हिस्सा बनाया जा रहा है। इन दोनों युद्धपोत और पनडुब्बी को जनवरी में मुंबई में शामिल किया जाएगा।

डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बी है वाग्शीरINS वाग्शीर का नाम एक सैंड फिश के नाम पर रखा गया है। जो हिंद महासागर के गहराई में रहने वाली एक शिकारी मछली है। इस पनडुब्बी वाग्शीर को सभी ऑपरेशनल टास्क में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका वजन लगभग 1600 टन है, जिसमें भारी-भरकम सेंसर और हथियार लगे हुए हैं। सूरत और नीलगिरी युद्धपोतों को पिछले हफ्ते मुंबई स्थित मंझगांव डॉक्स (MDL) ने नौसेना को सौंप दिया था। नौसेना को सौंपा गया फ्रिगेट नीलगिरि प्रोजेक्ट 17 A स्टील्थ का पहला जहाज है। इस परियोजना के तहत बनाए जाने वाले सात जहाज MDL मुंबई और GRSE कोलकाता द्वारा बनाए जा रहे हैं। INS सूरत अब तक की सबसे शक्तिशाली विध्वंसक जहाजनौसेना को मिला युद्धपोत सूरत 35 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट बी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक का चौथा और आखिरी खेप है। इससे पहले पिछले 3 सालों में इसी प्रोजेक्ट के तहत तीन जहाजों विशाखापत्तनम, मोरमुगाओ और इम्फाल को नौसेना के बेड़े में शामिल किया जा चुका है। सूरत की डिलीवरी नौसेना की स्वदेशी विध्वंसक निर्माण परियोजना का समापन है। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत साल 2021 में हुई थी। प्रोजेक्ट के तहत बनी INS सूरत अब तक की सबसे शक्तिशाली विध्वंसक जहाज है। इसका वजन कुल 7400 टन और लंभाई 164 मीटर है। यह जहाज हवा में मार करने वाली मिसाइलें, जहाजरोधी मिसाइलें और टॉरपीडो सहित अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस है।