बिहार में बड़ा गेमचेंजर साबित होगा लव-कुश समाज,तेजस्वी को होगा फायदा?
बिहार में चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद अब लव-कुश वाला समीकरण एक बार फिर चर्चा में है. मतलब बिहार की दो जाति कुर्मी और कोइरी का वोट बैंक जिसे सामान्य तौर पर नीतीश कुमार का परंपरागत वोट बैंक कहा जाता है, लेकिन अब चुनावी माहौल में इसकी नए सिरे से चर्चा है. वजह है JDU के पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा का RJD में जाना. संतोष कुशवाहा कोइरी समाज से आते हैं. इसीलिए उन्होंने RJD में शामिल होने के बाद जो बयान दिया उससे लव कुश समीकरण वाली चर्चा शुरू हो गई है.पहले उनका वो बयान जान लेते हैं फिर आपको लव कुश वोट बैंक वाला पूरा गणित समझेंगे. संतोष कुशवाहा के अनुसार जेडीयू अब लव कुश वाली पार्टी नहीं है. यानी जेडीयू के पास अब कुर्मी के साथ कोइरी जाति का वोटबैंक नहीं है. जिसके दम पर नीतीश अब तक सत्ता पाते रहे हैं. माना जाता है लालू यादव के MY यानी मुस्लिम यादव के वोट बैंक को तोड़ने के लिए नीतीश ने कोइरी-कुर्मी वोट बैंक का सहारा लिया था.

लव कुश समीकरण बिहार की 7 फीसदी से ज्यादा वोट शक्ति साधता है. जिसमें कुर्मी की हिस्सेदारी करीब 3 प्रतिशत है तो कोइरी की हिस्सेदारी करीब 4 प्रतिशत. ये दोनों 50 से 60 सीटों पर सीधा असर डालते हैं. पटना, मुंगेर समस्तीपुर, खगड़िया, सारण, आरा और बक्सर जैसी वो सीटें हैं जहां हार जीत तय करने में कुर्मी कोइरी समुदाय का बड़ा रोल है. अब संतोष कुशवाहा जैसे कुर्मी नेताओं को अपने साथ जोड़कर RJD इसमें सेंध लगाना चाहती है. क्योंकि नीतीश की अगुवाई में एनडीए गठबंधन को इन प्रमुख जातीय समूहों का मजबूत समर्थन मिला है. पिछले विधानसभा चुनाव में कोइरी समुदाय के 51 प्रतिशत, कुर्मी समुदाय के 81 प्रतिशत और अति पिछड़ा वर्ग के करीब 58 प्रतिशत मतदाताओं ने एनडीए के पक्ष में वोट डाले, वहीं महादलितों में मुसहर जाति के 65 प्रतिशत वोट भी गठबंधन को मिले. यानी अगर नीतीश सत्ता में हैं तो इसके पीछे कोइरी-कुर्मी-अति पिछड़ा वर्ग और महादलित अहम कड़ी हैं.पिछले कुछ वर्षों में RJD की अगुवाई वाला महागठबंधन इसी कड़ी को कमजोर करने में लगा है. इसलिए पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा के पार्टी बदलने को सिर्फ एक नेता के पार्टी बदलने से ज्यादा देखा जा रहा है. ये नीतीश कुमार के वोट बैंक को कमजोर करने की कोशिश है. इससे पहले लोकसभा चुनाव में भी महागठबंधन ने 8 कुशवाहा उम्मीदवार उतारे थे. कोइरी समाज के कई बड़े नेताओं को RJD के साथ जोड़ने की कोशिश हुई है. यानी अगर कोइरी और कुर्मी वाला समीकरण बिगड़ा तो NDA का तनाव बढ़ना तय मानिए.चुनाव से पहले पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा RJD में शामिल करना एक तरह से नीतीश कुमार के वोट बैंक को कमजोर करने की कोशिश मानी जा रही है. लोकसभा चुनाव में भी 8 कुशवाहा उम्मीदवार उतारे थे. कोइरी समाज के कई बड़े नेता RJD के साथ जुड़े हैं।