बिहार में कांग्रेस का साथ छोड़ेगी राजद!अकेले चलो की नीति पर चलेंगे तेजस्वी?

बिहार में लालू प्रसाद यादव भले ही भाजपा के सहयोग से सत्ता में आए थे, लेकिन लालू प्रसाद की राजनीति के 25 साल पर यदि नजर डालें तो वे कांग्रेस के सबसे भरोसेमंद साथी के रूप में दिखे. वहीं इंडिया गठबंधन के नेतृत्व को लेकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के ममता बनर्जी को कमान सौंप वाले बयान के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या कांग्रेस और राजद के बीच दूरी बढ़ गई है।साल 2023 में लालू खुद अपने हाथों से राहुल गांधी को मटन खिलाते और रेसिपी बताते नजर आए थे. लालू ने राहुल गांधी को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इंडिया गठबंधन का दूल्हा और विपक्षी नेताओं को बाराती कहकर संबोधित किया था. भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और लालू के बेटे तेजस्वी यादव उनके सारथी बने थे.

आज लालू और तेजस्वी दोनों राहुल गांधी को साइड लाइन करते हुए पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का साथ देते नजर आ रहे हैं।लालू यादव ने इंडिया गठबंधन का नेतृत्व ममता बनर्जी को देने का समर्थन करते हुए मंगलवार 10 दिसंबर को कहा था कि मुझे लगता है कि ममता बनर्जी को आने वाले समय में इंडिया गठबंधन की अगुवाई करने का मौका मिलना चाहिए।बिहार में राजद और कांग्रेस की दोस्ती पिछले 25 वर्ष से चल रही है. राजद और कांग्रेस ने पहली बार 1998 में मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा. उस समय बिहार में लोकसभा की 54 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस ने आठ सीटों पर लड़कर चार पर जीत हासिल की. वहीं राजद 17 सीट जीतने में सफल रहा, लेकिन 2000 के विधानसभा चुनाव में दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया था।उसी चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल को बहुमत नहीं मिली थी. विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस के खाते में 23 सीट आई तो राजद ने 124 सीट पर जीत दर्ज की थी. राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए कांग्रेस से समर्थन लेना जरूरी था।