महिलाओं ने बनाई फिर से NDA की सरकार!जानिए क्या कहता है रिकॉर्ड?
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा हो चुकी है। इस चुनाव में NDA को प्रचंड जीत मिली है और महागठबंधन को हार का सामना करना पड़ा है। बड़े-बड़े दावे करने वाले प्रशांत किशोर की जनसुराज तो पूरी तरह फ्लॉप साबित हो गई और उसे एक भी सीट नसीब नहीं हुई।इस चुनाव में NDA की जीत में सबसे अहम भूमिका महिलाओं की रही, जिन्होंने बढ़-चढ़कर मतदान किया और पुरुष मतदाताओं की अपेक्षा महिला मतदाताओं की संख्या बहुत ज्यादा रही। इन महिलाओं को NDA का साइलेंट वोटर कहा गया, जिन्होंने परिणाम को बिना किसी शोर-शराबे के NDA के पाले में कर दिया।बिहार चुनाव में महिला वोटरों के बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की वजह से चुनाव का रुख पूरी तरह बदल गया। इस बार के चुनाव में 71.6% महिलाओं ने मतदान किया, जबकि पुरुषों का मतदान प्रतिशत काफी कम रहा। इस बार केवल 62.8% पुरुषों ने मतदान किया। यानी 8.8% महिला वोटरों ने ज्यादा वोट डाला।बिहार में कुल 7.4 करोड़ वोटरों में महिला वोटरों की संख्या 3.51 करोड़ है। इसमें से बड़ी संख्या पहले से नीतीश कुमार को वोट देती आ रही है। नीतीश की “10 हजारी योजना” से जब एक करोड़ से ज्यादा महिलाओं को पहली किस्त मिली तो महिलाओं का एक और बड़ा हिस्सा नीतीश कुमार के समर्थन में आ गया।नीतीश कुमार का “10 हजारी फैक्टर” महिलाओं के वोटों को NDA की तरफ खींचने में सबसे ज्यादा कामयाब साबित हुआ।

दरअसल अगस्त में नीतीश कुमार ने ऐलान किया कि महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं को व्यापार करने के लिए 10 हजार रुपए दिए जाएंगे। सितंबर में महिलाओं के खाते में पहली किस्त भी डाल दी गई। नीतीश कुमार ने महिला रोजगार योजना के तहत 1.21 करोड़ महिलाओं (कुल महिला वोटरों का 35%) के खाते में 10 हजार की पहली किस्त भेजी, जिससे महिलाओं को ये भरोसा हो गया कि अगर चुनाव के बाद नीतीश कुमार की वापसी होती है तो महिलाओं को सरकार की तरफ से काफी आर्थिक लाभ मिलेगा। ऐसे में महिलाओं ने नीतीश कुमार के समर्थन में NDA को जमकर वोट डाला।महागठबंधन का वादा बेअसरमहागठबंधन की तरफ से भी महिलाओं को 30 हजार रुपए देने का वादा तो किया गया लेकिन वो इसलिए बेअसर हो गया क्योंकि नीतीश कुमार ने पहले ही महिलाओं के खाते में पैसा डालकर उनका भरोसा जीत लिया। चुनाव से पहले ही नीतीश की तरफ से मिली 10 हजार की किस्त महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी साबित हुई और महागठबंधन ताकता ही रह गया।प्रशांत किशोर के शराबबंदी पर विचार महिलाओं को पसंद नहीं आए। दरअसल पीके ने नीतीश सरकार की शराबबंदी की आलोचना की और ये दावा किया कि अगर जनसुराज की सरकार आती है तो शराबबंदी को खत्म कर दिया जाएगा। यानी बिहार में शराब मिलने लगेगी।ऐसे में वो महिलाएं नाराज हो गईं, जो शराबबंदी की वजह से अपने घर में चैन से रह रही थीं और उनके पतियों ने कलेश करना बंद कर दिया था और आर्थिक नुकसान भी कम हो गया था। इन महिलाओं ने भी नीतीश कुमार के समर्थन में वोट डाले।जीविका दीदी, आध्यात्मिक बैठक, शिव-चर्चा जैसे कार्यक्रम कारगरबिहार की महिला वोटरों को लुभाने में बीजेपी ने अपनी महिला टीम को जोर-शोर से काम करने के निर्देश दिए। बिहार में जीविका दीदियों की संख्या एक करोड़ से ज्यादा है। बिहार में बीजेपी की महिला टीमें इन दीदियों से मिलीं और उन्हें NDA सरकार के फायदे बताए।इसके अलावा महिलाओं के बीच पहुंच बनाने के लिए पूरे बिहार में आध्यात्मिक बैठक, शिव-चर्चा जैसे कार्यक्रम चलाए गए, जिससे ज्यादा से ज्यादा महिलाओं तक पहुंच को सुनिश्चित किया गया और आखिर में ये महिला वोटर, NDA के लिए संजीवनी बूटी की तरह काम आईं। आशा वर्कर, ममता कार्यकर्ताओं तक पहुंच काम आईबिहार सरकार की तरफ से महिलाओं के हित में तमाम काम किए गए। इसमें आशा वर्करों की सैलरी बढ़ाना और ममता कार्यकर्ताओं के मानदेय में बढ़ोतरी शामिल है। ऐसे में महिलाओं के बीच ये संदेश साफ हो गया कि नीतीश सरकार महिलाओं के हित में सोचती है और इसका NDA को फायदा मिला। साल 2020 की तुलना में 11% से ज्यादा महिलाओं ने वोट दियासाल 2020 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 59.69 था और पुरुषों का वोटिंग प्रतिशत 54.45 था। वहीं साल 2025 के चुनावों में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 71.6 पहुंच गया और पुरुषों का वोटिंग प्रतिशत 62.8% रहा। यानी साल 2020 की तुलना में साल 2025 में महिलाओं का वोट 11.91 प्रतिशत ज्यादा रहा, जिसने NDA की जीत का रास्ता खोल दिया।साल 2015 की तुलना में भी महिलाओं ने 11 फीसदी से ज्यादा वोटिंग कीबिहार में साल 2015 के विधानसभा चुनावों में महिलाओं का वोट प्रतिशत 60.48 रहा था और पुरुषों का वोट प्रतिशत 53.32 रहा था। यानी अगर 2015 और 2025 के चुनाव की तुलना करें तो महिलाओं का वोट साल 2025 में 11.12% से ज्यादा बढ़ा है।साल 2010 की तुलना में 17.11 % ज्यादा वोटिंग साल 2010 में 54.49 फीसदी महिलाओं ने वोट डाल डाला था और 51.12 फीसदी पुरुष ने वोट डाला था। अगर साल 2010 और साल 2025 की तुलना करें तो इस बार 17.11 % ज्यादा महिलाओं ने वोटिंग की है।