अब आगे क्या करेंगे तेज प्रताप,कैसे लड़ेंगे चुनाव जान लीजिए?

बिहार की सियासत के बेताज बादशाह कहे जाने वाले लालू प्रसाद यादव का परिवार इन दिनों चर्चा के केंद्र में है. आरजेडी सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव और अनुष्का यादव की तस्वीर वायरल होने के बाद बिहार की राजनीति से लालू परिवार तक में कोहराम मचा है. लालू यादव ने बेटे तेज प्रताप से सारा नाता तोड़ लिया है और छह साल के लिए आरजेडी से निष्कासित भी कर दिया है. ऐसे में सभी का निगाहें इस बात पर लगी हैं कि तेज प्रताप यादव का अगला कदम क्या होगा, क्या पार्टी में बनेंगे रहेंगे या फिर कोई दूसरा विकल्प तलाशेंगे?तेजप्रताप यादव ने शनिवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट, जिसमें उन्होंने अनुष्का यादव के साथ 12 साल पुराने प्रेम संबंध जिक्र किया. अनुष्का यादव के साथ उनकी तस्वीर वायरल होने के बाद लालू प्रसाद यादव ने रविवार को एक के बाद एक पोस्ट करके तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से बाहर कर दिया. ऐसे में सवाल उठता है कि परिवार और पार्टी से दूर रहकर तेज प्रताप यादव अपने सियासी करियर को बुलंदी पर ले जा पाएंगे या फिर नहीं?बिहार की राजनीति में लालू यादव की तूती बोलती रही है.

लालू यादव दो बार बिहार के सीएम रहे हैं और चारा घोटाला में नाम आने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सीएम नाम दिया था, जो तीन बार सीएम रहीं. लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव और छोटे बेटे तेजस्वी यादव हैं. लालू परिवार के नाम पर दोनों ने अपनी राजनीति शुरू की. तेज प्रताप दूसरी बार विधायक हैं और दो बार मंत्री रह चुके हैं, लेकिन वो अपनी खुद की सियासी पहचान स्थापित नहीं कर पाए।बिहार की सियासत में तेज प्रताप यादव की पहचान लालू यादव के बेटे के तौर पर ही है. आरजेडी की सेफ सीट से ही चुनाव लड़ते रहे और लालू के नाम पर ही दोनों ही बार विधायक बनने में सफल रहे हैं. ऐसे में आरजेडी बाहर होने के बाद तेज प्रताप के लिए अपने सियासी करियर को बुलंदी पर ले जाना आसान नहीं है, क्योंकि अपने राजनीतिक सफर में अपनी पहचान गंभीर नेता और जनाधार वाले नेता के तौर पर स्थापित नहीं कर सके. ऐसे में परिवार से बाहर रहकर खुद की पहचान बनाने के लिए संघर्ष करते रहना होगा।तेज प्रताप यादव को सियासत अपने पिता लालू यादव और मां राबड़ी देवी से विरासत में मिली है. लालू यादव की उंगली पकड़कर ही सियासत में आए हैं और उनकी छाया में ही आगे बढ़े हैं. तेज प्रताप दोनों ही बार अपने परिवार और पार्टी के नाम पर जीत सके हैं. तेज प्रताप यादव किसी आंदोलन या संघर्ष से निकलकर राजनीति में नहीं आए हुए हैं. इसके अलावा न ही किसी राजनीतिक विचारधारा से निकले हैं. इस तरह तेज प्रताप अपने पिता और मां के नाम पर ही सियासत करते रह हैं. ऐसे में पार्टी और परिवार के द्वारा दूरी बनाए जाने के बाद तेज प्रताप के लिए अपनी राजनीतिक पारी को आगे बढ़ाना आसान नहीं है.आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटे-तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव सियासत में है. लालू प्रसाद यादव की राजनीति का वारिस बनने के लिए तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव के बीच सियासी जंग चलती रही है. बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से ही तेजस्वी यादव ने खुद को लालू यादव के वारिस के तौर पर स्थापित करने में सफल रहे जबकि तेज प्रताप अपनी छाप नहीं छोड़ पाए हैं।आरजेडी से बाहर होने के बाद तेज प्रताप यादव के पास किसी दूसरी पार्टी में जाने का विकल्प है. बीजेपी से लेकर एलजेपी, जेडीयू और दूसरी किसी पार्टी का दामन थामकर अपनी राजनीतिक पारी को आगे बढ़ा सकते हैं, लेकिन जिस तरह से आरजेडी में रहे हैं, उस तरह की आजादी उन्हें दूसरी पार्टी में नहीं मिलेगी. इसके अलावा दूसरी पार्टियां क्या उन्हें इतने बड़े विवाद के बाद पार्टी में लेने का जोखिम भरा कदम उठाएंगी. इसके अलावा तेज प्रताप खुद कृष्ण और तेजस्वी यादव को अर्जुन बताते रहे हैं. ऐसे में अपने ही भाई के खिलाफ क्या दूसरी पार्टी में जाकर ताल ठोंके ये मुश्किल ही है।