सीएम और मंत्रियों के इस्तीफे पर नया कानून,NDA के सहयोगी दलों के बीच मतभेद?

संसद के मॉनसून सत्र के दौरान 20 अगस्त को संविधान में 130 वां संशोधन बिल लाया गया है. इस नए बिल के मुताबिक प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री या किसी भी मंत्री को गिरफ्तारी या 30 दिन तक हिरासत में रहने पर पद छोड़ना होगा. इस बिल के संसद में पेश होने के बाद से ही विपक्ष की तरफ से हमला किया जा रहा है. तेजस्वी यादव ने इसे ब्लैकमेलिंग बिल बताया है. वहीं बीजेपी के सहयोगी दल टीडीपी और जनता दल यूनाइटेड ने भी इस पर पर समर्थन जाहिर किया है.आंध्र प्रदेश में बीजेपी की एक प्रमुख सहयोगी, तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने संविधान (130 वां संशोधन) विधेयक 2025 का स्वागत किया है. इसे स्वच्छ राजनीति की ओर एक कदम बताया है जिसका जनता लंबे समय से इंतजार कर रही थी.

उन्होंने कहा कि यह विधेयक प्रधानमंत्री को भी हटा सकता है.समर्थन के बाद भी टीडीपी ने दुरुपयोग को रोकने के लिए विधेयक को विस्तृत जांच के लिए संसदीय पैनल के पास भेजने का समर्थन किया है. इन बिलों लेकर शाह ने संसद में कहा था कि भारत के लोग स्वच्छ राजनीति चाहते हैं, लेकिन वे एक मजबूत लोकतंत्र भी चाहते हैं. इसीलिए इस विधेयक को समिति के पास भेजा गया है. जब हम संविधान को छूते हैं, तो हमें अत्यंत सावधानी से छूना चाहिए, जैसे एक जौहरी हीरे को चमकाता है.संविधान (130 वां संशोधन) विधेयक 2025 को लेकर जनता दल यूनाइटेड के नेता ललन सिंह ने कहा कि लोकतंत्र लोकलाज से चलता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार की ओर से आज लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक पेश हुआ, जिसमें यह प्रावधान है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या केंद्र तथा राज्य के मंत्री अगर आपराधिक मामलों में जेल जाते हैं और 30 दिन के अंदर उन्हें जमानत नहीं मिलती है तो वे पद पर रहने के हकदार नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि पिछले सालों में यह देखा गया कि कुछ मुख्यमंत्री/ मंत्री ने भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाने के बावजूद त्यागपत्र नहीं दिया और जेल में रह कर अपना विभाग चलाते रहे जो सार्वजनिक जीवन के उच्च नैतिकता के मापदंड के विरुद्ध है।