पांचवें दिन भी आज करें मां कूष्मांडा की पूजा,जानें मंत्र और आरती
शारदीय नवरात्रि 2025 में पांचवें दिन मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना की जा रही है. मां दुर्गा का यह स्वरूप ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं, जिन्होंने अपनी मुस्कान और ऊर्जा से सृष्टि की रचना की थी. मां कूष्मांडा की आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।इस बार तृतीया तिथि दो दिन पड़ने के कारण नवरात्रि का व्रत 10 दिन का रखा जाएगा. इसलिए नवरात्रि के पांचवें दिन चौथी देवी मां कूष्मांडा की आराधना की जाएगी।

मां कूष्मांडा मंत्र:
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
मां कूष्मांडा की आरती:
कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी माँ भोली भाली॥लाखों नाम निराले तेरे । भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे। सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
मां कुष्मांडा व्रत कथा:
सनातन शास्त्रों के अनुसार प्राचीन काल में त्रिदेव ने सृष्टि की रचना का संकल्प लिया. उस समय सम्पूर्ण ब्रह्मांड में घना अंधकार व्याप्त था. समस्त सृष्टि एकदम शांत थी, न कोई संगीत, न कोई ध्वनि, केवल एक गहरा सन्नाटा था. इस स्थिति में त्रिदेव ने जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा से सहायता मांगी. जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा ने तुरंत ही ब्रह्मांड की रचना की. कहा जाता है कि मां कुष्मांडा ने अपनी हल्की मुस्कान से सृष्टि का निर्माण किया. मां के चेहरे पर फैली मुस्कान से सम्पूर्ण ब्रह्मांड प्रकाशमय हो गया. इस प्रकार अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना करने के कारण जगत जननी आदिशक्ति को मां कुष्मांडा के नाम से जाना जाता है. मां की महिमा अद्वितीय है. मां का निवास स्थान सूर्य लोक है. शास्त्रों के अनुसार, मां कुष्मांडा सूर्य लोक में निवास करती हैं. ब्रह्मांड की सृष्टि करने वाली मां कुष्मांडा के मुखमंडल पर जो तेज है, वही सूर्य को प्रकाशवान बनाता है. मां सूर्य लोक के भीतर और बाहर हर स्थान पर निवास करने की क्षमता रखती हैं।